निषाद ने कहा- ओबीसी, एससी का हक मारा जाता रहा और ये नेता सत्ता की मलाई खाते रहे
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर स्वामी प्रसाद मौर्य Swami Prasad Maurya और दारा सिंह चौहान Dara Singh Chauhan के मंत्री पद से इस्तीफा देने पर राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटन राम निषाद Ch. Lautan Ram Nishad ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि दोनों नेता निजी स्वार्थ की वजह से चुनाव के ऐन मौके पर इस्तीफा दिया है। उन्होंने सवाल किया है कि जब योगी सरकार में पिछड़ों, दलितों व किसानों की हकमारी हो रही थी तो ये दोनों नेता कहां थे।
लौटन राम निषाद ने कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्या अपने व बेटे की राजनीति के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलकर राजनीतिक नाटक कर रहे हैं। उनका यह कथन हास्यास्पद है कि पिछडों, दलितों, किसानों की अनदेखी के कारण मंत्री पद से इस्तीफा दिया हूँ। जब पिछडों, दलितों की हकमारी हो रही थी, तब उनका ज़मीर नहीं जागा, तब तो मौनी बाबा बनकर मौन धारण किये हुए थे। जब मंत्री पद आचार संहिता लगने के बाद गौण हो गया, तब इन्हें पिछडों,दलितों,किसानों की चिंता हुई। स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान आदि अवसरवादी नेता हैं, इनकी कोई सामाजिक न्याय की विचारधारा नहीं है।
तब क्यों मौन थे स्वामी प्रसाद मौर्य व दारा:
लौटन राम निषाद ने स्वामी प्रसाद मौर्य व दारा सिंह चौहान से पूछा है-
-तब क्यों चुप थे, जब पिछडों, दलितों के साथ सामाजिक और राजनीतिक अन्याय हो रहा था?
-जब निजी मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि में ओबीसी,एससी, एसटी का कोटा योगी सरकार ने खत्म किया, तब इनकी जुबान पर ताला क्यों लगा था?
-ओबीसी विद्यार्थियों की शुल्कप्रतिपूर्ती व छात्रवृत्ति वितरण में सौतेला व्यवहार हो रहा था, तब क्यों मौन धारण किये हुए थे?
-जब गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्ती में ओबीसी, एससी की हकमारी हुई, तब मौनी बाबा बन गए थे ये अवसरवादी नेता।
-69,000 शिक्षक भर्ती, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर भर्ती, अशासकीय महाविद्यालय प्राचार्य भर्ती, बाँदा कृषि संस्थान आदि में जब पिछडों, दलितों के आरक्षण की हकमारी हुई, तब इनकी बोलती बन्द थी।
2017 से पिछडों, दलितों के साथ सामाजिक अन्याय, हत्या, पुलिसिया जोर-जुल्म व अत्याचार हो रहा था, तब इनका ज़मीर नहीं जागा, तब तो सत्ता की मलाई खाने में मस्त थे।
उन्होंने कहा कि वीआईपी पार्टी के संस्थापक मुकेश सहनी व निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी सपा से गठबंधन की जुगत बिठा रहे हैं। ये दोनों नेता राजनीतिक सौदेबाज़ हैं। इनका निषाद समाज से कोई मतलब नहीं, गठबंधन में जो सीट मिलेगी, उसे माफियाओं, अपराधियों को मोटी रकम लेकर बेंचेगे, समाज को कुछ मिलने वाला नहीं।