यूपी80 न्यूज, लखनऊ
लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर हर पार्टी अन्य पिछड़ा वर्ग को रिझाने की जुगत में लगी हुई है। उत्तर प्रदेश व केंद्र में सत्तासीन भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियां पिछड़ों का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने का ढिंढोरा पीट रही हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। उत्तर प्रदेश में दूसरी बार योगी सरकार के गठन के 19 महीने बाद भी उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन पद रिक्त है, जिसकी वजह से कामकाज ठप पड़ा हुआ है।
उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन न होने की वजह से प्रदेश के ओबीसी वर्ग के पीड़ित लोगों को अपनी समस्याओं के निदान के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग का दरवाजा खटखटाने को मजबूर होना पड़ रहा है।
बता दें कि जुलाई 2019 में उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष फागू चौहान के बिहार का राज्यपाल बनने के बाद 2 साल तक चेयरमैन पद रिक्त था। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से आठ महीने पहले जसवंत सिंह सैनी को आयोग का चेयरमैन बनाया गया, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें योगी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया, जिसकी वजह से चेयरमैन का पद रिक्त हो गया और अब तक यह पद रिक्त है।
आल इंडिया बैकवर्ड क्लासेस फेडरेशन का स्टेट प्रेसिडेंट श्रीकांत पाल जी कहते हैं,
“उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग का चेयरमैन पद रिक्त होने की वजह से पिछड़ा वर्ग के जन कल्याण से संबंधित कार्य प्रभावित हो रहे हैं। आयोग के पास पॉवर तो है, लेकिन पद रिक्त है। ऐसी स्थिति में हमारे ओबीसी वर्ग के प्रतियोगी छात्रों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है। आखिर ये बच्चे अपनी गुहार किससे लगाएं!”