गन्ना संस्थान Sugarcane institute की सिफारिश के बावजूद यूपी में चार सालों में मात्र 10 रुपए बढ़ी गन्ने की कीमत
यूपी80 न्यूज, गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश Uttar Pradesh गन्ना उत्पादन sugarcane production करने के मामले में देश का प्रमुख राज्य है। लेकिन पिछले 4 सालों में प्रदेश में गन्ने का मूल्य केवल 10 रुपए बढ़ाया गया। महंगाई रोज बढ़ रही है, लेकिन गन्ने का मूल्य price of sugarcane नहीं बढ़ा। गन्ने की फसल आधी से ज्यादा मीलों में पहुंचने के बाद सरकार ने पुराने ही रेट की घोषणा कर दी है। अब तक गन्ने की पर्चियों पर रेट वाले कॉलम में शून्य-शून्य लिखा आ रहा था। गन्ना मीलें भुगतान समय से नहीं कर रहीं, जबकि 14 दिन में भुगतान न होने पर किसान को ब्याज दिलाने का दावा किया गया था। यह बातें सोमवार को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत Rakesh Tikait ने कहीं।
राकेश टिकैत ने कहा कि खाद के दाम बढ़ रहे हैं, डीजल के दाम बढ़ रहे हैं, गैस सिलेंडर Gas Cylinder के दाम बढ़ रहे हैं, बच्चों की फीस बढ़ रही है, हर चीज पर महंगाई की मार है। सरकार ने खाद का कट्टा 50 किलो से कम करके 45 किलो का कर दिया, और उसकी कीमत बढ़ गई। पेस्टीसाइड महंगे हो रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में चार वर्षों से गन्ने के भाव में एक पाई नहीं बढाई, जबकि गन्ना संस्थान ने पिछले साल के मुताबिक गन्ने का लागत मूल्य 10 रूपए बढ़ जाने की बात की है।
गन्ना संस्थान ने मूल्य वृद्धि की सिफारिश की:
राकेश टिकैत का कहना है कि गन्ना संस्थान ने वर्ष 2019-20 के लिए जहां गन्ने का लागत मूल्य 287 रूपए प्रति क्विंटल बताया था, वहीं वर्ष 2020-21 के लिए 297 रूपए होने की बात कही है। लेकिन गन्ना संस्थान की बात भी सरकार नहीं मानती। राकेश टिकैत ने कहा कि गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ रूपए बकाया हैं। ऐसे में गन्ना किसान फांके के कगार पर हैं। बच्चों के ब्याह शादियां तक करने के लिए उसे कर्ज लेना पड़ रहा है। सरकार समय से भुगतान कराने की बजाय किसानों को कर्ज देने में ज्यादा दिलचस्पी ले रही है।
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क्या अखिलेश-मायावती से भी कमजोर हैं सीएम योगी? : टिकैत
उन्होंने सवाल किया कि क्या उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मायावती और अखिलेश यादव से भी कमजोर मुख्यमंत्री हैं? जो किसानों के लिए उनके बराबर भी नहीं कर पा रहे हैं। टिकैत ने कहा कि एक ओर भारत सरकार स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का झूठा दावा कर रही है, दूसरी ओर गन्ना किसानों को उनका लागत मूल्य तक नहीं मिल पा रहा। लागत मूल्य पर टिकैत ने कहा कि गन्ना संस्थान, शाहाजहांपुर ने माना है कि गन्ने का लागत मूल्य 297 रूपए आ रहा है। ऐसे में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में दिए गए सी-2+50 के फार्मूले से गन्ने का रेट तय क्यों नहीं किया जाता? उन्होंने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा आंदोलन गन्ना किसानों का भी आंदोलन है। भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि हरियाणा और राजस्थान में लगातार हमारी पंचायतें हो रही हैं। महाराष्ट्र और कनार्टक के साथ हम देश के सभी राज्यों में जाएंगे। यूपी में गन्ना किसान का आंदोलन है तो महाराष्ट्र में यह आंदोलन कपास के किसानों का है।