नीतीश कुमार के लिए राजनीति कभी पैसा कमाने का साधन नहीं रही
यूपी80 न्यूज, गोरखपुर
भाजपा के साथ थे, भाजपा का साथ छोड़ा, फिर भाजपा के साथ आए। फिर भाजपा छोड़ी। यह तो है और यह नेकेड ट्रुथ है। इसमें कुछ भी एक्सक्लूसिव नहीँ है। सबको दिखता है और भाजपा व नीतीश विरोधी इसकी चर्चा करते ही रहते हैं।
इससे इतर भी कुछ सत्य साफ नजर आता है और उसकी चर्चा कम ही सुनी जाती है।
नीतीश कुमार Nitish Kumar ईमानदार हैं। इस व्यक्ति के लिए राजनीति कभी पैसा कमाने का साधन नहीं रही। बुद्धिज्म को बिहार में नया कलेवर दिया, बौद्ध स्थलों को चमका दिया।
नीतीश कुमार के दौर में फेयर भर्तियां हुईं। यूपी में जहां पिछले 5 साल में कुछ जाति विशेष के लोग यूनिवर्सिटी में भरे गए, रिजर्वेशन कोटा लागू करने में धांधलियां हुईं, 30-30 लाख रुपये में यूनिवर्सिटी की प्रोफेसरी बिकी, वहीं बिहार में नीतीश कुमार को सांप्रदायिक, निर्लज्ज, दलबदलू कहकर गरियाने वाले मेरे जानने वाले दर्जनों लड़कों को बगैर रिश्वत के नौकरी मिली। नीतीश कुमार अपनी जाति वालों को ज्यादा सहूलियत देते हैं, राजद का यह अभियान भीगे पटाखे की तरह फुस्स हो गया।
दो दशक से मुख्यमंत्री पद कब्जियाये नीतीश कुमार की यह फोटो प्रायोजित नहीं लगती। जनता दरबार से लेकर जनसभाओं तक से आती रहती है। ये वही नीतीश हैं, जिनके पास जब ‘माउंटेन मैन’ दशरथ मांझी अपनी समस्या लेकर आये तो नीतीश कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए और कहा कि आप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर अपने काम के लिए अधिकारियों को आदेश दे दीजिए।
साभार: वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक सत्येंद्र पीएस के फेसबुक पेज से