न्याय की गुहार लगा रहे स्थानीय लोगों के खिलाफ पुलिस ने सख्ती की थी
लखनऊ, 1 नवंबर
यदि प्रदेश के कबीना मंत्री ब्रजेश पाठक बस्ती में पिछले महीने मारे गए छात्र नेता कबीर तिवारी के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें न्याय दिलाने का आश्वासन दे सकते हैं तो फिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह प्रयागराज के कोरांव क्षेत्र में मारे गए रमेश ऊर्फ पिंटू पटेल के परिजनों से मुलाकात क्यों नहीं कर सकते हैं? इन दिनों उत्तर प्रदेश के पटेल समाज में यह सवाल चर्चा का विषय है। समाज के लोग पिछले साल फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ने वाले अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य कौशलेंद्र सिंह पटेल से भी नाराज हैं। प्रदेश में इन दिनों पिछड़ा और दलित समाज अपने नेताओं से यही सवाल कर रहा है।
पिछले साल विवेक तिवारी की हत्या के बाद ब्राह्मण समाज ने इस मामले को लेकर काफी मुखर हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने विवेक तिवारी के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें न्याय दिलाने का भरोसा दिया। इसके अलावा विवेक तिवारी की पत्नी को अच्छी सरकारी नौकरी व मुआवजा के तौर पर काफी धनराशि दी गई।
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लेकिन इसके विपरीत प्रयागराज के कोरांव में पिंटू पटेल की हत्या के बाद न्याय की गुहार लगा रहे स्थानीय लोगों के खिलाफ पुलिस ने सख्ती का प्रयोग किया। प्रशासन के इस रवैये से पटेल समाज के लोगों में खासा नाराजगी है। इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई एवं स्थानीय लोगों को छोड़ने के लिए अखिल भारतीय कुर्मी महासभा के पदाधिकारियों ने प्रयागराज के डीएम को ज्ञापन भी दिया था।
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हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे अधिवक्ता नंदकिशोर पटेल कहते हैं कि सबसे पहले समाज है। भारत जैसे देश में राजनीतिक गुणा-गणित में जाति का खास ख्याल रखा जाता है। समाज के नाम पर ही नेताओं को पारितोषिक मिलता है। ऐसे में यदि हमारे समाज के वरिष्ठ नेता अपने लोगों की चिंता नहीं करेंगे तो कौन करेगा! नंद किशोर पटेल कहते हैं कि अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं एमएलसी आशीष पटेल को छोड़कर समाज का अन्य कोई भी वरिष्ठ नेता पिंटू पटेल के परिजनों से मिलने नहीं आया।
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हाईकोर्ट के अधिवक्ता संजय पटेल कहते हैं कि नेताओं के इस रवैये से समाज के लोगों में काफी नाराजगी है। यदि हमारे नेता समाज के निर्दोष लोगों को न्याय नहीं दिला सकते हैं तो फिर उनसे हम क्या अपेक्षा करें।