वीआईपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा- भाजपा ने वायदा पूरा नहीं किया तो वीआईपी अपने बलबूते लड़ेगी चुनाव
संतोष साहनी, सोनभद्र/लखनऊ
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटन राम निषाद ने कहा है कि यदि भाजपा सरकार ने शीतकालीन सत्र में बिल लाकर निषाद मछुआ समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण नहीं दिया तो मिशन 2022 में वीआईपी भाजपा से गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि निषाद समुदाय की मल्लाह, केवट, बिन्द, मांझी, धीवर, धीमर, कहार, गोड़िया, तुरहा, रायकवार, बाथम आदि जातियों का आरक्षण मुद्दा अत्यन्त संवेदनशील मुद्दा है।
लौटन राम निषाद का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति में शामिल मझवार, तुरैहा, गोड़, बेलदार जाति को परिभाषित कर केन्द्र सरकार इनकी पर्यायवाची जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ देने का शासनादेश विधान सभा चुनाव से पूर्व जारी कर दिया तो वीआईपी भाजपा को समर्थन देने व उसकी नैया पार लगाने का काम करेगी। वीआईपी का “आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं” का मुद्दा साफ है। अब निषाद समाज किसी भी दल के वायदे पर विश्वास नहीं करेगा।
भाजपा 2012 के घोषणा पत्र को पूरा करे:
उन्होंने कहा कि भाजपा विधान सभा चुनाव-2012 के चुनाव घोषणा पत्र को पूरा करे। घोषणा पत्र में लिये गये संकल्पों के आधार पर मछुआरा समाज की जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण एवं मत्स्य पालन, बालू, मौरंग खनन, मत्स्याखेट व शिकारमाही का परम्परागत पुश्तैनी पेशा 1994-95 के शासनादेशानुसार देने का शासनादेश कर दिया तो निषाद समाज भाजपा का खेवनहार बनेगा।
केंद्र को तीन बार भेजा जा चुका है प्रस्ताव:
निषाद ने बताया कि 10 मार्च, 2004 को तत्कालीन सपा सरकार, 4 मार्च 2008 को मायावती सरकार व 22 फरवरी, 2013 को अखिलेश यादव सरकार ने निषाद मछुआ समुदाय की जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव व अर्द्धशासकीय पत्र केन्द्र सरकार को भेजा था।
निषाद ने बताया कि कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा आदि दलों ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में निषाद जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने का वायदा किया था, लेकिन अभी तक यह झूठा छलावा साबित हुआ है। अब आरक्षण के मुद्दे पर वायदे पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
अभी नहीं तो कभी नहीं:
उत्तर प्रदेश व केन्द्र में भाजपा की सरकार है। अभी नहीं तो कभी नहीं। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने 18 फरवरी, 2004 को माझी, मझवार की भांति निषाद, मल्लाह, केवट, धीवर, कहार, रायकवार को अनुसूचित जनजाति, 8 नवम्बर, 2004 को बिहार की राजद सरकार ने निषाद, मल्लाह, केवट, भर, बिन्द,बेलदार, नोनिया, तुरहा आदि जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा था। केन्द्र की भाजपा सरकार इन प्रस्तावों को स्वीकार कर उत्तर प्रदेश, बिहार,झारखण्ड के निषाद जातियों को अनुसूचित जाति एवं मध्यप्रदेश की निषाद जातियों को अनुसूचित जनजाति का आरक्षण देने का बिल लेकर राजपत्र व शासनादेश जारी कर दिया तो पूरी तरह भाजपा को समर्थन किया जाएगा व गठबंधन कर चुनाव लड़ा जाएगा।
निषाद ने कहा कि पूर्वांचल की 87, बुन्देलखण्ड की 9, मध्य उ0प्र0 की 37 व पश्चिमी उ0प्र0 की 36 सीटें निषाद, बिन्द, कश्यप के प्रभाव वाली सीटें हैं।