यूपी 80 न्यूज़, लखनऊ/नई दिल्ली
2012 में उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही बसपा के कद्दावर नेता बाबू सिंह कुशवाहा Babu Singh Kushwaha के दिन खराब होने लगे। भ्रष्टाचार के आरोप में उन्हें जेल भी जाना पड़ा, राजनीति में हासिये पर चले गए। लेकिन अब एक बार फिर बाबू सिंह कुशवाहा के अच्छे दिन शुरू हो गए हैं। लोक सभा चुनाव जीतने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव Akhilesh Yadav ने उन्हें अहम जिम्मेदारी दी है।
सपा प्रमुख ने लोकसभा सांसद बाबू सिंह कुशवाहा और धर्मेंद्र यादव Dharmendra Yadav को बड़ी जिम्मेदारी दी है। जौनपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद बाबू सिंह कुशवाहा को समाजवादी संसदीय पार्टी का उपनेता नियुक्त किया गया है।
आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सपा सांसद धर्मेंद्र यादव को मुख्य सचेतक का जिम्मा दिया गया है।समाजवादी संसदीय पार्टी के नेता खुद अखिलेश यादव होंगे। सत्ताधारी और विपक्षी दोनों दल अपने सचेतक नियुक्त करते हैं और सभी दलों के सचेतकों के कुछ कार्य समान होते हैं। विपक्षी दलों के सचेतकों की भूमिका भी समान रूप से महत्वपूर्ण होती है। वे अपने सदस्यों को सभी महत्वपूर्ण सूचना उपलब्ध कराते हैं और सदन में संबंधित दलों के सदस्यों की उपस्थिति और प्रतिभागिता, विशेष रूप से महत्वपूर्ण चर्चाओं और मतदान के दौरान संसद में उच्च स्तर के वाद- विवाद के स्तर को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाते है। संसदीय कार्य मंत्रालय के अनुसार सचेतक कुशल समन्वय की तुलना में संसदीय प्रक्रियाओं, पद्धतियों और परिपाटियों की जटिल अपेक्षाओं को सुनिश्चित करने के लिए अपने दलों और सदस्यों की ओर से संबंधित सदन के पीठासीन अधिकारियों और सचिवालय के साथ विचार- विमर्श भी करते हैं।
सदन में नेता की गैरमौजूदगी में उप नेता सारा काम देखते हैं।अगर अखिलेश संसद की कार्यवाही के दौरान किन्हीं कारणों से अनुपस्थित रहते हैं तो बाबू सिंह कुशावाहा उनकी भूमिका अदा करेंगे। उन्हें संसद में एक दफ्तर मिलेगा, जो मुख्य सचेतक और नेता संसदीय दल के साथ होगा।