विनियमितीकरण की मांग को लेकर राजधानी में इकट्ठा हुए प्रदेश भर के तदर्थ प्रधानाचार्य, जल्द करेंगे विशाल सम्मेलन
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
“तदर्थ प्रधानाचार्यों की विनियमितीकरण की मांग जायज होने के कारण मेरा उन्हें पूर्ण समर्थन रहेगा और सरकार तक इस मांग को पहुंचाने, इसे मनवाने में आवश्यक योगदान दिया जाएगा। मैं तदर्थ प्रधानाचार्य की पीड़ा को अच्छी तरह से समझता हूं।” लखनऊ खंड स्नातक एमएलसी इंजीनियर अवनीश सिंह ने राजधानी स्थित तुलसी शोध संस्थान में प्रदेश के सभी जनपदों से आए अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय के तदर्थ प्रधानाचार्यों की एक बैठक के दौरान यह आश्वासन दिया। इस अवसर पर लखनऊ के शिक्षक एमएलसी उमेश द्विवेदी भी उपस्थित थे।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष धनंजय गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कई वर्षों से अनेक तदर्थ प्रधानाचार्य कार्यरत हैं जिन्हें प्रधानाचार्य पद का वेतनमान प्राप्त हो रहा है और यह सभी अपने विद्यालयों के वरिष्ठतम् शिक्षक हैं, जिनके पास अनिवार्य योग्यता एवं लंबा शैक्षणिक अनुभव भी है। राज्य सरकार द्वारा तदर्थ प्रधानाचार्यों को पहले भी चयन बोर्ड द्वारा चयन ना हो पाने पर विनियमित किया जा चुका है। राज्य सरकार द्वारा तदर्थ प्रधानाचार्य का विनियमितीकरण करके विद्यालयों में अनिश्चितता की स्थिति समाप्त की जा सकती है। इससे राज्य सरकार पर कोई वित्तीय भार बढ़ने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, बल्कि प्रधानाचार्यों के विनियमितीकरण से शिक्षकों के रिक्त पदों पर नए अभ्यर्थियों को भर्ती करने का मौका मिलेगा। जिससे नवीन रोजगार का सृजन भी होगा और राज्य सरकार पर वित्तीय भार भी कम आएगा।

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एमएलसी इंजीनियर अवनीश सिंह ने कहा कि जब सभी तदर्थ प्रधानाचार्य अनिवार्य अर्हताधारी अनुभवी और अपने विद्यालयों में वरिष्ठतम शिक्षक हैं तो उन्हें विनियमित करना सरकार के लिए उचित और सरल रहेगा। विनियमितीकरण होने से तदर्थ प्रधानाचार्य तनाव मुक्त होकर शिक्षा के उन्नयन में अपनी भूमिका और अच्छी तरह से निभाएंगे, जिससे माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा में गुणात्मक सुधार आएगा और सरकार की लोकप्रियता बढ़ाने में तदर्थ प्रधानाचार्य के विनियमितीकरण से और इजाफा होगा।
उत्तर प्रदेश प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष बृजेश शर्मा ने कहा कि विनियमितीकरण में सरकार के सामने कोई बाधा नहीं है, क्योंकि चयन बोर्ड कई वर्षों से प्रधानाचार्य के चयन में अक्षम है। सरकार यदि तदर्थ प्रधानाचार्य का विनियमितीकरण करती है तो अनेक प्रकार के न्यायालयी विवादों का भी अंत हो जाएगा और सरकार की स्वच्छ छवि में बढ़ोतरी होगी।
उत्तर प्रदेश तदर्थ प्रधानाचार्य वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने बताया कि इसके पहले भी वर्ष 1993 में तदर्थ प्रधानाचार्यों का विनियमितीकरण किया जा चुका है। माध्यमिक शिक्षक संघ कानपुर के महामंत्री हरिश्चंद्र दीक्षित ने बताया कि वर्तमान सरकार लोकहित में अनेक निर्णय ले रही है और तदर्थ प्रधानाचार्यों का विनियमितीकरण इसकी अगली कड़ी होनी चाहिए।
विशाल सम्मेलन का होगा आयोजन:
तदर्थ प्रधानाचार्य संघर्ष समिति लखनऊ के अध्यक्ष अनिल कुमार वर्मा ने कहा कि सरकार द्वारा तदर्थ प्रधानाचार्य का विनियमितीकरण करने की घोषणा के लिए आने वाले समय में एक प्रदेश स्तरीय विशाल सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रदेश के सभी तदर्थ प्रधानाचार्य शामिल होंगे।
इस अवसर पर उन्नाव के प्रधानाचार्य दिनेश गुप्ता, प्रधानाचार्य प्रशांत कुमार पाल, प्रधानाचार्य हरिलाल ने ने विनियमितीकरण की मांग को लेकर अपनी बात रखी। इस मौके पर युवा प्रधानाचार्य डा. राजकुमार सिंह, बाबू त्रिलोकी सिंह इंटर कॉलेज, साकेत सौरभ अग्रसेन इंटर कॉलेज चौक, अजीत सिंह जनता इंटर कॉलेज खड़ौहा, अनिल कुमार वर्मा जवाहरलाल नेहरू इंटर कॉलेज बहरौली, तीरथ लाल सोनकर आदर्श हायर सेकेंडरी स्कूल अमांवा, तेजराम गांधी विद्यालय आलमबाग, अवधेश कुमार मिश्रा जनता ब्वॉयज इंटर कॉलेज आलमबाग, रीता टंडन भारतीय बालिका इंटर कॉलेज हजरतगंज, डॉ लीना मिश्रा बालिका इंटर कॉलेज मोती नगर इत्यादि उपस्थित रहें।
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