सत्ता में बैठी बीजेपी की बजाय विपक्ष की कांग्रेस पर हमलावर हैं बहन जी
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
बहुजन समाज पार्टी BSP की सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री मायावती Mayawati इन दिनों बदली-बदली सी क्यों नजर आ रही हैं? केंद्र और प्रदेश की गद्दी पर सत्तासीन है बीजेपी। लेकिन बसपा सुप्रीमो बीजेपी की बजाय कांग्रेस पर ज्यादा हमलावर हैं। मायावती के इस बदले-बदले रूख से राजनीतिक पंडित भी आश्चर्य में हैं।
बसपा BSP सुप्रीमो मायावती की पिछले कुछ महीने के दौरान सोशल मीडिया की पोस्ट को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव के बाद से मायावती कुछ बदली-बदली सी हैं। बीजेपी पर कभी तीखे बाण चलाने वाली मायावती अब थोड़ा नरम हैं। इसके विपरीत आए दिन मायावती के निशाने पर कांग्रेस और उसके नेता रहते हैं। कांग्रेस द्वारा प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए योगी सरकार से 1000 बसों की मंजूरी मांगने के मामले में 16 मई को बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि कांग्रेस पहले इन बसों को चंडीगढ़ और पंजाब भेज दे, ताकि पीड़ित श्रमिक यमुना नदी में अपनी जान जोखिम में डालने की बजाय सड़क मार्ग से सुरक्षित यूपी पहुंच सकें।
इसी तरह 18 मई को बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यदि कांग्रेस पार्टी के पास वास्तव में 1000 बसें हैं तो उन्हें लखनऊ भेजने में कतई भी देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यहां भी श्रमिक प्रवासी लोग भारी संख्या में अपने घरों को जाने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
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19 मई को बसपा सुप्रीमो ने कहा कि कांग्रेस को ये सभी बसें अपने राज्यों में श्रमिकों की मदद के लिए लगा देनी चाहिए। हालांकि इसके विपरीत सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट के बहाने प्रवासी मजदूरों को सड़कों पर उत्पीड़ित कर रही है। भाजपा सरकार खुद अपने फिटनेस का सर्टिफिकेट दे कि इस बदहाली में क्या वो देश-प्रदेश चलाने के लायक है। बता दें कि कांग्रेस द्वारा 1000 बसें चलाने की पेशकश मामले में योगी सरकार ने इस बसों फिटनेस सर्टिफिकेट सहित विस्तृत ब्यौरा की मांग की थी। जिसे लेकर पिछले तीन दिनों से बीजेपी-कांग्रेस में खूब नूरा-कुश्ती का दौर चला।
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लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद बसपा सुप्रीमो ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हार का ठीकरा फोड़ते हुए गठबंधन तोड़ ली थी और अपना अलग रूख अख्तियार कर लिया था। पिछले साल भर से जहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी बीजेपी पर हमलावर हैं, वहीं बसपा सुप्रीमो बीजेपी के प्रति थोड़ा नरम हैं।
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (इंडिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार रासबिहारी कहते हैं कि प्रवासी मजदूरों, किसानों व आरक्षण सहित कई ज्वलंत मुद्दों को लेकर कांग्रेस प्रदेश में सक्रिय हो गई है। मायावती को कांग्रेस की सक्रियता अच्छी नहीं लग रही है। अखिरकार एक समय बसपा ने कांग्रेस से उसका वोटबैंक छीन लिया था। मुस्लिम वोट सपा और बसपा में बंट जाते हैं। कांग्रेस इसी तरह सक्रिय रही तो मुस्लिम मुस्लिम कांग्रेस की तरफ खिसक सकते हैं।
कांग्रेस के विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक एवं लखनऊ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आलोक वर्मा कहते हैं कि मायावती जी के सलाहकार आरएसएस विचारधारा वाले हैं, इसलिए मायावती जी उन लोगों से प्रभावित हैं। साथ ही उन्हें जेल जाने का भी डर है, जिसकी वजह से वह सत्ता पक्ष बीजेपी की बजाय कांग्रेस पर ज्यादा हमलावर हैं। मायावती जी मान्यवर कांशीराम के मिशन से भटक गई हैं।
इसी तरह बिहार के सिवान के सामाजिक चिंतक एवं पत्रकार राकेश कुमार सिंह कहते हैं कि मायावती को एक तरफ सीबीआई का डर सता रहा है। तो दूसरी तरफ वह नहीं चाहतीं कि किसी भी कीमत पर प्रदेश में कांग्रेस के वापसी के आसार बनें। क्योंकि ऐसा होगा तो उनका अपना वोट बैंक खिसक सकता है।
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