आजाद के 70 साल बाद भी प्रदेश की राजनीति में कई राजघराने प्रभावी हैं
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
आजादी के बाद लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की 565 रियासतों का विलय तो कर दिया, लेकिन आज भी इन रियासतों का असर जनता पर प्रभावी है। इन रियासतों के राजा-महाराजा आज भी अपने पैसे और प्रभाव के बल पर भारतीय राजनीति में प्रासंगिक हैं। उत्तर प्रदेश में भी दो दर्जन रियासतों के उत्तराधिकारी हर बार विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में उतरतें हैं। इनमें से कई विधायक और सांसद बनने में सफल हो जाते हैं। इस बार भी प्रदेश के कई जनपदों में इन रियासतों के उत्तराधिकारी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

पडरौना नरेश रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह):
पडरौना नरेश आरपीएन सिंह 1996 से 2009 तक पडरौना सीट से विधायक रहे। 2009 में वह यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री बने। हालांकि मोदी लहर में दो बार हारने के बाद अब अपने समर्थकों संग भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इनके पिता सीपीएन सिंह इंदिरा गांधी के करीबी रहे और 1980 व 1984 में पडरौना से सांसद रहे एवं इंदिरा सरकार में रक्षा राज्यमंत्री रहे।
भदरी रियासत के राजा भैया:

प्रतापगढ़ की भदरी रियासत के वंशज रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया 1993 से लगातार निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर कुंडा सीट से विधायक निर्वाचित हो रहे हैं। 2018 में विधायक के तौर पर 25 साल पूरे होने पर उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया और इस बार वह अपनी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

आगरा के भदावर राजघराना से रानी पक्षालिका सिंह:
आगरा के इस राजघराने की रानी पक्षालिका सिंह भाजपा के टिकट पर बाह सीट से चुनाव लड़ी हैं। इनके पति राजा महेंद्र अरिदमन सिंह यहां से 6 बार विधायक रहे हैं। 2012 में वह सपा से विधायक बनने के बाद मंत्री भी बने।

बिजनौर के सौपरी राजघराना के कुंवर सुशांत सिंह:
बिजनौर के सौपरी राजघराने की तीसरी पीढ़ी के तौर पर कुंवर सुशांत सिंह राजनीति में हैं। वह ठाकुरद्वारा सीट से बीजेपी विधायक हैं और इस बार भी बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा है। इनके पिता कुंवर सर्वेश कुमार सिंह और दादा भी राजनीति में सफल रहे हैं।
बागपत के नवाब वारिस अहमद हमीद:
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत के नवाब परिवार के वारिस अहमद हमीद इस बार रालोद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इनके पिता नवाब कोकब हमीद भी 25 साल तक विधायक रह चुके हैं।
रामपुर के नवाब परिवार के नावेद मियां व हैदर अली खान:

रामपुर के नवाब परिवार के नावेद मियां और हैदर अली खान पिता-पुत्र हैं और इस बार विधानसभा चुनाव में दोनों चुनाव मैदान में हैं। पिता नावेद मियां कांग्रेस के टिकट पर रामपुर सदर से और हैदर अली खान अपना दल (एस) के टिकट पर स्वार टांडा से चुनाव लड़ रहे हैं। हैदर अली खान के दादा जुल्फीकार अली खां उर्फ मिक्की मियां पांच बार सांसद और दादी बेगम नूर बानो यहां से दो बार सांसद रह चुकी हैं। हैदर अली के पिता नावेद मिया भी विधायक और मंत्री रह चुके हैं।
अमेठी के डॉ.संजय सिंह:

अमेठी राजघराना के डॉ.संजय सिंह इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। संजय सिंह कभी संजय गांधी के करीबी हुआ करते थे। इनकी पत्नी अमिता सिंह भी भाजपा में हैं। वह दो बार विधायक रह चुकी हैं। उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह भी अमेठी से मौजूदा विधायक हैं। संजय सिंह सांसद भी रह चुके हैं।
कालाकांकर की राजकुमारी रत्ना सिंह:

प्रतापगढ़ के कालाकांकर रियासत की राजकुमारी पूर्व सांसद रत्ना सिंह फिलहाल भाजपा में हैं। वह तीन बार सांसद रह चुकी हैं। इनके पिता राजा दिनेश सिंह प्रतापगढ़ से चार बार सांसद एवं इंदिरा सरकार में विदेश मंत्री रहे।

गोंडा के मनकापुर रियासत के कीर्तिवर्धन सिंह:
गोंडा जनपद के मनकापुर रिसायत के कीर्तिवर्धन सिंह वर्तमान में भाजपा के टिकट पर सांसद हैं। इनके पिता आनंद सिंह गोंडा से कई बार सांसद रह चुके हैं। कीर्तिवर्धन सिंह के दादा राघवेंद्र प्रताप सिंह दो दशक तक राजनीति में सक्रिय रहे।

अमेठी की तिलोई राजघराना के मयंकेश्वर शरण सिंह:
मयंकेश्वर शरण सिंह मौजूदा भाजपा विधायक हैं। यह कई बार विधायक रह चुके हैं। ये सपा में भी रह चुके हैं।
मांडा के राजा वीपी सिंह:

प्रयागराज के मांडा राजघराने से ताल्लुक रखने वाले वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री बने और मंडल कमीशन को लागू किया। इनके निधन के बाद इनके परिवार के लोगों ने राजनीति में आने की कोशिश तो की, लेकिन सफल नहीं हुए।
राजनीति में ये राजघराने भी रहे सक्रिय:
शिवगढ़ रियासत के राजा राकेश प्रताप सिंह भाजपा से जुड़े रहे और विधान परिषद सदस्य भी रहे। इनके अलावा रायबरेली की अरखा रियासत के कुंवर अजय पाल सिंह, गोंडा के परसपुर राजघराना, प्रयागराज के बरांव राजघराने के उज्जवल रमण सिंह करछना से विधायक हैं। इनके पिता रेवती रमण सिंह करछना से आठ बार विधायक रहे। बहराइच के पयागपुर राजघराना और समथर के राजा रंजीत सिंह जूदेव भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं।