बगैर चुनाव लड़े ‘युवा हल्ला बोल Yuva Halla Bol’ ने ‘बेरोजगारी’ को बनाया मुख्य मुद्दा
यूपी80 न्यूज, पटना
बिहार चुनाव Bihar election के मुख्य केंद्र में है ‘बेरोजगारी Unemployment’। बिहारवासियों के लिए यह मुद्दा बेहद गंभीर है। बिहार जैसे अति पिछड़ा राज्य में बेरोजगारी की वजह से हर साल लाखों की तादाद में युवा अन्य राज्यों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। बिहार चुनाव में इसे मुद्दा बनाने में ‘युवा हल्ला बोल Yuva Halla Bol’ की टीम का बेहद अहम रोल है। ‘युवा हल्ला बोल’ के पदाधिकारियों ने बगैर चुनाव लड़े बिहार Bihar की हर राजनीतिक पार्टी को बेरोजगारी पर बोलने को मजबूर कर दिया है।
बता दें कि दस दिन पहले तक बिहार चुनाव में आरोप-प्रत्यारोप, राजनीतिक सांठगांठ और गठजोड़ की चर्चा हो रही थी। आम बिहारियों के जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दे चुनावी विमर्श से गायब थे। लेकिन बिहार के युवाओं ने हर पार्टी को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार पर बात करने को मजबूर कर दिया है। रोज़गार तो चुनावी बहस के केंद्र में आ गया है। इसमें एक बड़ा योगदान देशव्यापी रोज़गार आंदोलन से निकले ‘युवा हल्ला बोल’ का है जिसने 11-सूत्री एजेंडे को लेकर पूरे बिहार का भ्रमण किया। इस मुहिम के तहत तथ्यों के आधार पर बिहारियों के असल मुद्दों पर बात हो रही है। सरकार के कामकाज की समीक्षा, चुनाव लड़ रहे पार्टीयों प्रत्याशियों से सवाल और नागरिकों से संवाद किया जा रहा है।
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‘युवा हल्ला बोल’ के संयोजक अनुपम का कहना है कि पढ़ाई, कमाई और दवाई बिहार के सबसे अहम मुद्दे हैं। उनका कहना है, “बिहार के कई हिस्सों में गाँव-गाँव जनसंवाद करने के दौरान हमें स्पष्ट समझ आया कि आम बिहारी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार को लेकर चिंतित है। इन मुद्दों पर नेताओं से सवाल करना चाहता है, लेकिन बड़ी पार्टियों और मीडिया द्वारा हर बार उनके सवालों से ध्यान भटका दिया जाता है। लोग इस खेल को समझने लगे हैं। यही देखकर हमने तय किया कि बिहार चुनाव का सबसे प्रभावी नारा – ‘पढ़ाई कमाई और दवाई, हर बिहारी के हक़ की लड़ाई’ – होना चाहिए।”
‘युवा हल्ला बोल’ की केंद्रीय टीम द्वारा चलाई गई ‘बोल बिहारी’ मुहिम का असर है कि हर बार जाति धर्म कश्मीर पाकिस्तान के नाम पर चुनाव लड़ने वाली पार्टियां भी रोज़गार की बात कर रही है।
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