नई दिल्ली, 23 जून
देश में सर्वाधिक आबादी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की है, लेकिन आबादी के अनुरुप देश की संसद और राज्यों की विधानसभाओं में ओबीसी वर्ग के सांसदों एवं विधायकों का प्रतिनिधित्व नहीं है। इस कमी को दूर करने के लिए विशेष कानून लागू हो सकता है। ओबीसी को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए शुक्रवार को राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश किया गया, जिसका अधिकतर दलों के सदस्यों ने समर्थन किया।
वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने गैर सरकारी विधेयक संविधान (संशोधन) विधेयक (नये अनुच्छेद 330 क और 332क का अंत:स्थापन) सदन में पेश किया। इस विधेयक पर उच्च सदन में चर्चा के दौरान अधिकतर सदस्यों ने इस प्रावधान को समय की मांग बताते हुए इसका समर्थन किया। विजय साई रेड्डी ने कहा, “देश की आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद संसद और राज्य विधानसभाओं में इस वर्ग का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है। इससे संविधान की व्यापक भागीदारी वाले लोकतंत्र की अवधारणा साकार नहीं हो पा रही।“
यह भी पढ़ें: ओबीसी होने की वजह से पिछड़ गए भूपेंद्र यादव
विजय रेड्डी ने सुझाव दिया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी, एसटी) उत्पीड़न निषेध कानून की तर्ज पर ओबीसी वर्ग के लिए भी कानून होना चाहिए तथा इस वर्ग के हितों की देखरेख के लिए अलग से एक मंत्रालय बनाया जाना चाहिये। इस दौरान कांग्रेस के बी.के. हरिप्रसाद ने कहा कि देश की इस विशाल आबादी का आज भी महत्वपूर्ण स्थानों पर समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है और वे अब भी अपने अधिकारों से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि इस काम को किये बिना देश का सही मायने में विकास नहीं किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: दारा सिंह चौहान व फागू चौहान हुए फेल
उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग के लोगों को जो प्रतिनिधित्व दिया गया है उसे अब आगे बढ़ाकर लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में भी लागू किया जाना चाहिये। भाजपा के विकास महात्मे ने कहा कि ओबीसी के हितों को पूरा करने के लिए आरक्षण के दायरे से हटकर कुछ अन्य सकारात्मक उपाय भी किये जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान इस वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा के स्तर में सुधार लाने, ऋण उपलब्धता सुविधा बढ़ाने और दक्षता विकास की ओर ध्यान देने जैसी पहल को साकार करने की ओर है।
यह भी पढ़ें: बसपा प्रत्याशी ने बेल्थरा रोड में रविन्दर कुशवाहा को पटका
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा ने विधेयक का समर्थन करते हुए जाति आधारित समुचित आंकड़े नहीं होने पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि ओबीसी के तहत 3,743 जातियां आती हैं और उनकी सामाजिक, शैक्षिक स्थिति से अवगत होना आवश्यक है ताकि कोई न्याय से वंचित न होने पाये। द्रमुक के टीकेएस ईलनगोवन, भाजपा के रामकुमार वर्मा, कांग्रेस के एल हनुमंतैया, छाया वर्मा, सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद, अन्नाद्रमुक के एन गोकुलकृष्णन, आप के संजय सिंह, भाजपा के अजय प्रताप सिंह एवं अमरशंकर साबले ने भी विधेयक की भावना का समर्थन किया।