एम्स में फैकल्टी मेंबर द्वारा किए गए दुर्व्यवहार से आहत महिला डॉक्टर ने आत्महत्या की कोशिश की
नई दिल्ली, 28 अप्रैल
देश को जिस चिकित्सा संस्थान एम्स (दिल्ली) पर गर्व है, वह संस्थान भी जातिगत भेदभाव से अछूता नहीं है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में एक महिला डॉक्टर को उसका सीनियर कहता है- “तू एससी है, अपना मुंह बंद कर और काली बिल्ली की तरह मेरा रास्ता मत काट।” फैकल्टी मेंबर द्वारा किए गए इस दुर्व्यवहार से आहत महिला डॉक्टर ने इस मामले की शिकायत दिल्ली पुलिस से की है। दिल्ली पुलिस ने महिला डॉक्टर की शिकायत पर आरोपी फैकल्टी मेंबर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
जानकारी के अनुसार 17 अप्रैल को महिला डॉक्टर ने जाति और धर्म के आधार पर किए जा रहे भेदभाव के चलते आत्महत्या करने की कोशिश की थी। यह महिला डॉक्टर दवा के ओवरडोज के चलते अपने छात्रावास में बेहोश पायी गई थी। इसके बाद महिला डॉक्टर के दोस्तों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया था। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है और जल्द ही उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी।
दक्षिण दिल्ली रेंज के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव के अनुसार, महिला चिकित्सक की शिकायत पर हौज खास पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। पीड़ित डॉक्टर का बयान दर्ज किया गया है और जांच की जा रही है। दूसरी ओर, एम्स के एक रेजिडेंट डॉक्टर के अनुसार मामले की जांच के लिए एक आंतरिक सहित दो समितियां गठित की गई हैं।
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महिला डॉक्टर का आरोप:
महिला डॉक्टर ने एफआईआर में आरोप लगाया है कि पिछले 2 साल से फैकल्टी मेंबर मेरे खिलाफ भेदभाव कर रहे हैं। इस बाबत सीडीईआर प्रमुख से शिकायत भी की गई, लेकिन हर बार मुझे लिखित शिकायत देने से रोक दिया गया।
डॉक्टर का आरोप है कि बीते 16 मार्च को फैकल्टी मेंबर ने मरीजों एवं उनके परिजनों के सामने असभ्य भाषा और जातिवादी गालियों का इस्तेमाल किया। डॉक्टर ने बताया कि एक दिन फैकल्टी मेंबर ने उन्हें हिंसक रूप से उनकी सीट से भी हटाते हुए कहा था कि तू एक एससी है और अपनी हद में रह। आहत महिला डॉक्टर ने फैकल्टी मेंबर से कहा कि वह ऐसी बातें नहीं कह सकतें और वह अन्य रोगियों को देखने चली गई। महिला डॉक्टर का यह भी कहना है कि उन्हें थोड़ी देर बार सीडीईआर प्रमुख ने अपने कमरे में बुलाया और चिल्लाते हुए कहा कि वे एक फैकल्टी मेंबर के साथ दुर्व्यवहार नहीं कर सकती हैं।
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महिला डॉक्टर ने इस मामले की शिकायत सीडीईआर हेड, एम्स डाइरेक्टर डॉ.रणदीप गुलेरिया, एम्स एससी और एसटी सेल, महिला शिकायत सेल और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भेजी थी।
शिकायत वापस लेने का दबाव:
महिला डॉक्टर का यह भी कहना है कि बीते 17-23 मार्च तक उन्हें अपमानित किया गया और जब 9 अप्रैल को एक समिति ने इस बारे में उनसे मुलाकात की तो उनसे अपनी शिकायत वापस लेने के लिए कहा गया। साभार : दलितआवाजडॉटकॉम www.dalitawaaz.com