बिहार में चर्चा शुरू, जदयू के कोर वोटर ने भाजपा को वोट दिया, लेकिन भाजपा के कोर वोटर लोजपा की ओर चले गए
यूपी80 न्यूज, पटना
बिहार विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया। नीतीश कुमार की अगुवाई में राजग गठबंधन द्वारा लड़े गए इस चुनाव में राजग को सर्वाधिक सीटें प्राप्त हुई हैं। लेकिन सामाजिक न्याय की जमीन रहा बिहार के राजनीतिक हलकों में नई बहस शुरू हो गई है। सवाल उठ रहा है कि जदयू को सवर्ण मतदाताओं ने वोट नहीं दिया। कहा जा रहा है कि जदयू का कोर वोट बैंक तो भाजपा के उम्मीदवारों को बढ़-चढ़ कर वोट दिया, लेकिन भाजपा का कोर वोट बैंक जदयू प्रत्याशियों को वोट नहीं दिया और जदयू को कमजोर करने के लिए भाजपा का वोट बैंक लोजपा के उम्मीदवारों को वोट दिया। इसे लेकर जदयू के मतदाताओं और नेताओं में गहरी नाराजगी है। पार्टी के अंदर इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
वरिष्ठ पत्रकार कुमार समीर सिंह कहते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के कोर वोटर ने तो भाजपा प्रत्याशियों को बड़े पैमाने पर वोट किया, लेकिन भाजपा के कोर वोटर ने जदयू के प्रत्याशियों को वोट नहीं दिया, बल्कि भाजपा के कोर वोटर ने जदयू की बजाय लोजपा को आगे बढ़ाने का कार्य किया। इसकी वजह से जदयू के नेताओं में गहरी नाराजगी है।
सामाजिक चिंतक एवं पत्रकार अनंत सिन्हा कहते हैं, “भाजपा के कोर वोटर सवर्ण हैं, जबकि जदयू के कोर वोटर पिछड़ी जातियों के अलावा दलित-महादलित व पसमांदा मुसलमान हैं। जदयू के मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशियों को जीताने के लिए खूब मेहनत की, लेकिन इसके विपरीत भाजपा के सवर्ण मतदाताओं ने जदयू की बजाय लोजपा के प्रत्याशियों को वोट दिया। जिसकी वजह से जदयू को काफी नुकसान हुआ। यदि ऐसा नहीं होता तो जदयू को 80 से ज्यादा सीटें आतीं।”
नीतीश कुमार के समर्थक भभुआ निवासी संजय पटेल कहते हैं कि भाजपा ने नीतीश कुमार को कमजोर करने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा। एक सोची-समझी साजिश के तहत लोजपा को बढ़ावा दिया गया। भाजपा के बागी विधायकों को लोजपा से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया। लेकिन ये नीतीश कुमार का करिश्माई व्यक्तित्व है, जिसकी वजह से विपरीत परिस्थिति के बावजूद उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है। उनका कोर वोटर उनके साथ है।
बता दें कि बिहार चुनाव में इस बार कई मजेदार दृश्य देखने को मिला। केंद्र में राजग की हिस्सेदार लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने बिहार चुनाव में नीतीश कुमार को हराने के लिए जदयू प्रत्याशियों के खिलाफ उम्मीदवार तो उतारा लेकिन भाजपा प्रत्याशियों के खिलाफ कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। चुनाव प्रचार के दौरान चिराग पासवान कहते रहे कि वह पीएम नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं। चिराग ने भाजपा के 22 बागी नेताओं में से 21 नेताओं को जदयू के खिलाफ टिकट दिया। इनमें राजेंद्र सिंह और रामेश्वर प्रसाद चौरसिया जैसे बड़े नेता भी शामिल हैं।
ऐसे में अब देखना होगा कि क्या मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में चिराग पासवान को जगह मिलती है। सवाल यह भी है कि नीतीश कुमार इन गंभीर मामलों को लेकर अगला कदम क्या उठाते हैं।
नीतीश कुमार के सामने चुनौतियां:
राजग और महागठबंधन के बीच जीती हुई सीटों का अंतर बहुत कम है।
जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तान अवाम मोर्चा और मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी ने 4-4 सीटें जीती हैं। फिलहाल ये राजग का हिस्सा हैं, लेकिन यदि इन्हें ठीक से तवज्जो नहीं दी गई तो कभी भी राजग की सरकार गिर सकती है और तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन सकते हैं। भाजपा के अधिक विधायक होने की वजह से कैबिनेट में भाजपा के अधिक मंत्री होंगे, ऐसे में नीतीश कुमार दबाव में रह सकते हैं।