राजेश पटेल, चुनार
हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती-किसानी है। सत्तर फीसद से ज्यादा आबादी खेती पर ही आश्रित है। और तो और, जब कोरोना काल में हर क्षेत्र में मंदी छाई हुई थी, उस समय भी खेती ने देश की अर्थव्यवस्था को संभाले रखा। इसके बावजूद किसान farmer और किसानी के प्रति सरकारी रवैया संतोषजनक नहीं रहा है। खेती के लिए बिजली-पानी, खाद, बाजार, परिवहन आदि संसाधनों का अभाव सदा से रहा है। इस समय भी है।
एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन उतार सकते हैं तो नहरें साइकिल ही चलाने लायक हों:
देश में सड़कों का जाल बिछ रहा है। फोर लेन से भी आगे बढ़कर एक्सप्रेस-वे का निर्माण तेजी से हो रहा है। इन एक्सप्रेस-वे पर फाइटर प्लेन उतार कर अपनी सरकार को बेहतर बताने की होड़ सी मची है। लेकिन, किसी ने सोचा क्या कि नहरों का भी आधुनिकीकरण होना चाहिए। क्या आज तक किसी सरकार ने नहरों में साइकिल भी चलाकर बताने की कोशिश की कि वह खेती की सिंचाई के प्रति गंभीर है।
दरअसल, आजादी के बाद से आज तक की सरकारें किसानों के प्रति उस हाथी की ही तरह से साबित हो रही हैं, जिसके खाने के दांत और दिखाने के और हैं। कोई बता सकता है क्या कि आजादी के बाद से आज तक किन-किन बांधों की सिल्ट सफाई हुई है। हर बांध किसी न किसी नदी को बांध कर बनाया गया है। पहाड़ों की सिल्ट बहकर नदी के माध्यम से बांध में पहुंचती है और वहीं जमा होती जा रही है। इससे बांध छिछले होते जा रहे हैं। उनमें जलग्रहण क्षमता दिन-पर-दिन कम होती जा रही है। इसका नतीजा भी अब सामने आ रहा है। कम बारिश होने की स्थिति में वे सफेद हाथी ही साबित होते हैं। रही बात नहरों की तो उनकी स्थिति भी माशाअल्लाह ही है। जरूरत के समय यदि टेल तक पानी जिस साल पहुंच जाता है, किसान जश्न मनाते हैं। बांधों की सिल्ट सफाई यदि कुछ साल तक और नहीं हुई तो नहरें भी बेकार ही हो जाएंगी। तब खेती की क्या स्थिति होगी, आप सोच सकते हैं।
नहरों, राजवाहों व माइनरों की स्थिति यह है कि बांध से पानी छोड़ते ही कहीं टूट जाती है तो कहीं अवरोध के कारण पानी आगे नहीं बढ़ पाता। आज देश हर क्षेत्र में विकास कर रहा है तो नहरों के मामले में पीछे क्यों है। इसका कारण समझ में नहीं आता। जबकि हर सरकार खुद को किसानों की हितैषी ही बताती है। अब आवश्यकता इस बात की है कि बांध से पानी छोड़ने पर वह बिना किसी प्रयास के सीधे टेल तक पहुंचे। ऐसा तभी संभव है, जब सरकार सही मायने में खेती के प्रति संवेदनशील होगी। नहरों, राजवाहों, माइनरों की दोनों तरफ की दीवारों के साथ तलहटी को भी पक्का करना होगा।
एक साथ नहीं तो चरणबद्ध तरीके से ही सही। ऐसा नहीं है कि यह असंभव कार्य है। यह संभव है, बस सरकार में इच्छाशक्ति होनी चाहिए। जिस दिन ऐसा हो जाएगा, निश्चित रूप से एक्सप्रेस-वे और फोर लेन पर वाहनों की संख्या बढ़ जाएगी। इससे टोल टैक्स के रूप में सरकार की भी आय बढ़ेगी। जब टेल के किसानों को समय से जरूरत के अनुसार पानी मिलना शुरू हो जाएगा तो उनकी आय बढ़ेगी। इससे उनकी क्रय शक्ति में भी इजाफा होगा।
उत्तर प्रदेश की प्रमुख नहरों पर एक नजर:
1.ऊपरी गंगा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: हरिद्वार (उत्तराखंड), गंगा नदी।
लाभान्वित जिले: सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, एटा, फ़िरोज़ाबाद, इटावा, मैनपुरी, कानपुर, फ़तेहपुर, गाजियाबाद और फरुखाबाद।
2.मध्य गंगा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: बिजनौर, गंगा नदी।
लाभान्वित जिले: बुलंदशहर, अलीगढ़, गाजियाबाद, हाथरस, मथुरा और फ़िरोज़ाबाद।
3.निचली गंगा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: नरोरा (बुलंदशहर), गंगा नदी।
लाभान्वित जिले: बुलंदशहर, फ़तेहपुर, प्रयागराज, अलीगढ़, मैनपुरी, गाजियाबाद, एटा, फ़िरोज़ाबाद, कानपुर और फरुखाबाद।
4.रामगंगा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: कालागढ़ (पौढ़ी), रामगंगा नदी
लाभान्वित जिले: बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद और रामपुर।
5.पूर्वी यमुना नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: फैज़ाबाद (सहारनपुर)/ यमुना नदी।
लाभान्वित जिले: सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर, मेरठ गाजियाबाद और दिल्ली।
6.आगरा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: ओखला (दिल्ली के पास), यमुना नदी।
लाभान्वित जिले: दिल्ली, गुडगाँव, भरतपुर और आगरा।
7.शारदा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: बनवासा (नेपाल सीमा) / शारदा नदी।
लाभान्वित जिले: पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर, लखीमपुर,सीतापुर, हरदोई, बाराबंकी, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर और इलाहाबाद।
8.सरयू या घाघरा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: कतरनिया (बहराइच)/ घाघरा।
लाभान्वित जिले: बहराइच, श्रावस्ति, बलरामपुर, गोंडा और बस्ती।
9.बेतवा नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: पारीक्षा (झाँसी)/ बेतवा।
लाभान्वित जिले: झाँसी, हमीरपुर और जालौन।
10.केन नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: पन्ना (मध्य प्रदेश)/ केन नदी।
लाभान्वित जिले: बाँदा।
11.गंडक नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: नेपाल/ बूढी गंडक नदी।
लाभान्वित जिले: गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज और देवरिया।
12.रानी लक्ष्मीबाई बांध नहरें:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: मातातिला (ललित)/ बेतवा नदी
लाभान्वित जिले: हमीरपुर, जालौन, झाँसी और ललित।
13.राजघाट नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: ललितपुर/ बेतवा नदी।
लाभान्वित जिले: हमीरपुर, जालौन, झाँसी और ललित।
14.रिहन्द घाटी योजना नहरें:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: पिपरी (सोनभद्र)/ रिहन्द नदी।
लाभान्वित जिले: मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, वाराणसी और इलाहाबाद।
15.बाणसागर नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: शहडोल (मध्य प्रदेश)/ सोन नदी।
लाभान्वित जिले: मिर्ज़ापुर, सोनभद्र, चन्दौली और इलाहाबाद।
1.6बेलन टोंस नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: रीवा/ बेलन नदी।
लाभान्वित जिले: इलाहाबाद।
17.बानगंगा बैराज नहरें:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: शोहरतगढ़ (सिद्धार्थ नगर)/ बानगंगा।
लाभान्वित जिले: सिद्धार्थ नगर और बस्ती।
18.नौगढ़ बाँध नहरें:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: नौगढ़ (गाजीपुर)/ कर्मनाशा।
लाभान्वित जिले: चंदौली और गाज़ीपुर।
19.मेजा जलाशय नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: मेजा (इलाहाबाद)/ बेलन नदी।
लाभान्वित जिले: इलाहाबाद और मिर्ज़ापुर।
20.चन्द्रप्रभा बाँध नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: चकिया (चंदौली)
लाभान्वित जिले: चंदौली।
21.अर्जुन बांध नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: चरखारी (हमीरपुर)/ अर्जुन नदी।
लाभान्वित जिले: हमीरपुर।
22.अहरौरा बाँध नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: अहरौरा (मिर्जापुर)/ गड़ई नदी।
लाभान्वित जिले: चंदौली और मिर्ज़ापुर।
23.नगवां बाँध नहर:
उद्गम स्थल/सम्बंधित नदी: नगवां/ कर्मनाशा नदी।