यूपी 80 न्यूज़, लखनऊ/ फिरोजाबाद
फिरोजाबाद में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला प्रकाश में आया है। जमीन के स्वामित्व के विवाद में सिरसागंज तहसील के अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर घूसखोरी का खेल खेला है। अधिकारियों पर आरोप लगा है कि दूसरे पक्ष से जमीन के बदले जमीन का सौदा करके करोड़ों की जमीन अपने रिश्तेदार और परिचितों के नाम करा ली। शिकायत हुई तो डीएम ने एसडीएम और प्रभारी तहसीलदार को हटा दिया है। मामले की जांच के लिए सीडीओ की अध्यक्षता में कमेटी बना दी है।
मामला सिरसागंज तहसील के रुधैनी गांव का है। यहां रहने वाले एक किसान ने पहली पत्नी की मृत्यु के बाद अपनी साली से विवाह किया, लेकिन दोनों में से किसी की संतान नहीं हुई। दूसरी पत्नी की मृत्यु 1985 में हो गई। 2019 में किसान की भी मृत्यु हो गई। उसके हिस्से की जमीन उसके बड़े भाई के बेटों के नाम आ गई। विरासत का मामला तहसीलदार कोर्ट में पहुंचा। एक व्यक्ति ने खुद को किसान का दत्तक पुत्र बताते हुए जमीन पर दावा किया। मामला लंबे समय से चल रहा था, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा था। किसान के परिवार का खुद को सदस्य बताने वाले योगेंद्र कुमार का कहना है कि अधिकारियों ने दूसरे पक्ष से मिलकर जमीन की सौदेबाजी कर ली। एसडीएम ने सात जून को दूसरे के पक्ष में निर्णय दे दिया। आठ जून को द्वितीय शनिवार और नौ जून को रविवार की छुट्टी रही। अधिकारी जमीन नाम कराने को इतने उतावले थे कि सोमवार को तहसील खुलते ही दूसरे पक्ष का नाम खतौनी में चढ़ा दिया गया। एक दिन बाद ही 12 जून 10 बैनामे कराए गए। रकबा 80 बीघा बताया जा रहा है और कीमत करोड़ों में है। आरोप हैं कि ये बैनामे एसडीएम विवेक राजपूत ने अपने गांव के दो लोगों और प्रभारी तहसीलदार नवीन कुमार ने अपने रिश्तेदारों के नाम कराए हैं।
योगेंद्र ने 26 जून काे डीएम रमेश रंजन से शिकायत की थी। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने एसडीएम को जिला मुख्यालय पर संबद्ध कर दिया।
डीएम रमेश रंजन का कहना है कि प्रभारी तहसीलदार को शिकोहाबाद तहसील भेज दिया गया है। मामले की निष्पक्ष जांच हो सके और आराेपित अधिकारी किसी तरह प्रभावित न कर पाएं, इसलिए दोनों को हटा दिया गया है। सीडीओ की अध्यक्षता वाली कमेटी जांच कर रही है। कमेटी ने सभी पक्षों के बयान लिए हैं। एक- दो दिन में रिपोर्ट आ जाएगी। इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।