प्रदेश के एकमात्र सांसद कपिल सिब्बल और एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल जुलाई में समाप्त होने जा रहा है
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
उत्तर प्रदेश Uttar Pradesh में कांग्रेस Congress सबसे बुरे दौर से गुजरने जा रही है। पिछले 113 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा, जब उत्तर प्रदेश विधान परिषद UP lagislative council में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं होगा। कांग्रेस के एकमात्र एमएलसी दीपक सिंह Deepak Singh का कार्यकाल 6 जुलाई को समाप्त होने जा रहा है। इसके बाद विधान परिषद में कांग्रेस की उपस्थिति शून्य होगी। इसी तरह प्रदेश से राज्यसभा में भी कांग्रेस की उपस्थिति जुलाई में शून्य हो जाएगी।
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद की स्थापना 5 जनवरी 1887 को हुई थी और 7 फरवरी 1909 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोती लाल नेहरू विधान परिषद सदस्य बने। अर्थात उन्हें उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत) विधान परिषद में कांग्रेस का पहला सदस्य माना जाता है। उस दौरान उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था।
1989 तक कांग्रेस से ही बने नेता सदन:
आजादी के बाद 1977 और 1979 को छोड़कर 1989 तक कांग्रेस का ही विधान परिषद में नेता सदन रहा। लेकिन पिछले 33 सालों से कांग्रेस का दायरा लगातार सिकुड़ता गया और अब यह दायरा शून्य पर आने वाला है।
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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त:
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के मात्र दो विधायक जीते हैं और उसे मात्र 2.5 परसेंट वोट मिला है। परिणामस्वरूप विधान परिषद चुनाव एवं राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस को काफी नुकसान झेलना पड़ेगा।
राज्यसभा में भी शून्य के कगार पर कांग्रेस:
विधान परिषद के अलावा उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भी कांग्रेस की उपस्थिति शून्य होने जा रही है। उत्तर प्रदेश से कांग्रेस के एकमात्र राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल Kapil Sibbal का कार्यकाल 4 जुलाई को समाप्त होने जा रहा है। इसके बाद प्रदेश से राज्यसभा में कांग्रेस की उपस्थिति शून्य हो जाएगी।