यूपी80 न्यूज, लखनऊ
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकारें झूठ पर टिकी हैं। उसका मातृ संगठन नागपुर का बिना रजिस्ट्रेशन का कारखाना है। वह समाज में नफरत और दूरी का उत्पादन करता है। अपने कुप्रचार में उसने हिटलर के कुख्यात प्रचारमंत्री गोएबल्स को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है। भाजपा के कारनामों से समाज का हर वर्ग परेशान और दुःखी है। सन् 2027 में उत्तर प्रदेश से भाजपा की विदाई अब सुनिश्चित है।

अखिलेश यादव ने आज समाजवादी पार्टी के राज्य मुख्यालय लखनऊ के डॉ. राममनोहर लोहिया सभागार में आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक दिवस समारोह के अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया। समारोह के संयोजक सरदार सेना के प्रमुख आर.एस.पटेल थे। संचालन सतेन्द्र पटेल ने किया। सरदार सेना के वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि 2027 में प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी और अखिलेश यादव ही मुख्यमंत्री होंगे।

अखिलेश यादव ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने बिना भेदभाव, मानवता के रास्ते पर, पंथनिरपेक्षता को अपनाते हुए, सबको साथ लेकर अपना साम्राज्य बनाया। उनके सम्मान में आगरा में भव्य म्यूजियम बनाया जाएगा। लखनऊ में रिवरफ्रंट पर उनकी सिंहासन पर बैठी प्रतिमा स्थापित होगी। सिंहासन सोने का होगा।

अखिलेश यादव ने कहा कि जो इतिहास अच्छा रास्ता न दिखा सके, जो इतिहास दूरी पैदा करता है, उसे इतिहास ही रहने देना चाहिए। हमारे लिए सभी महापुरुष सम्मानीय है, आदरणीय है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवा जी महाराज पंथनिरपेक्ष थे। उनके सेनापति नूर खां बेग थे, तोपाखाना का संचालन इब्राहिम खां और दौलत खां करते थे। सबको साथ लेकर ही उन्होंने स्वराज की लड़ाई लड़ी थी।

श्री यादव ने कहा कि भाजपा सरकार में लूट और भ्रष्टाचार चरम पर है। गरीबों के पैसों की भयंकर लूट हो रही है। जनता बुरी तरह त्रस्त है। ऐसे में पीडीए ही भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम है। लंबी और बड़ी लड़ाई सामने है। उत्तर प्रदेश से ही देश में परिवर्तन होगा। लोग 2027 में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का संकल्प ले चुके है।

इस अवसर पर किरनमय नंदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राजेन्द्र चौधरी राष्ट्रीय सचिव, श्याम लाल पाल प्रदेश अध्यक्ष, प्रो0 बी. पाण्डेय राष्ट्रीय अध्यक्ष शिक्षक सभा, कामाजी पंवार, डॉ0 आशुतोष वर्मा प्रवक्ता, रोशन लाल विधायक, सोनम बगवाड़ी तीर्थ पुरोहित सहित शेख सुभान अली, अविनाश कांकड़े आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।