मंत्रिमंडल में सुशील मोदी, नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार जैसे पुराने नेताओं की बजाय दूसरी पंक्ति के नेताओं को दी गई तरजीह
बलिराम सिंह, पटना
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की कमान तेजस्वी यादव व लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) की कमान चिराग पासवान के हाथों में आने के बाद अब जनता दल (यू) और भारतीय जनता पार्टी, बिहार में भी दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। नीतीश कुमार की अगुवाई में बिहार की सत्ता पर चौथी बार काबिज होने के बाद नए मंत्रिमंडल में यह बदलाव आसानी से देखा जा सकता है। नए मंत्रिमंडल में दोनों दलों ने पहली पंक्ति के नेताओं की बजाय दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
भाजपा ने बिहार के अपने पुराने नेताओं सुशील मोदी, नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार, विनोद कुमार झा जैसे दिग्गज नेताओं को साइड कर दिया है। इस बार नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में ये नेता शामिल नहीं किए गए। ये सभी नेता 5 से 7 बार विधायक बन चुके हैं। बावजूद इसके शीर्ष नेतृत्व ने इन नेताओं की बजाय दूसरी पीढ़ी को बढ़ाने का निर्णय लिया है। पार्टी ने दूसरी पीढ़ी के मंगल पांडेय, तारकिशोर प्रसाद, रेणु देवी, रामप्रीत पासवान, जीवेश कुमार मिश्र, अमरेंद्र प्रताप सिंह, राम सूरत राय जैसे नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया।
इसी तरह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने भी अपनी पहली पंक्ति के नेताओं की बजाय नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह पहले ही मार्गदर्शक की भूमिका में आ चुके हैं। राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह और आरसीपी सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने पर विचार हो रहा है। इनके अलावा नीतीश कैबिनेट में विजय चौधरी और विजेंद्र यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं को छोड़कर डॉ.अशोक चौधरी, मेवालाल चौधरी और शीला मंडल जैसे नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। हालांकि नीतीश कुमार की पूर्व सरकार में भी डॉ.अशोक चौधरी कार्य कर चुके हैं। इसी तरह विकासशील इंसान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मतस्य व पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी भी युवा हैं। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी खुद की बजाय बेटे संतोष कुमार मांझी को नीतीश कैबिनेट में शामिल कराना बेहतर समझा।
बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी वरिष्ठ पत्रकार पंकज मिश्रा कहते हैं, “राजद और लोजपा के बाद अब जदयू और भाजपा भी सांगठनिक तौर पर बदलाव की राह पर चल पड़ी हैं। बिहार भाजपा की पहली पंक्ति के नेताओं जैसे सुशील कुमार मोदी, नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार जैसे दिग्गज नेताओं की पढ़ती उम्र को देखते हुए शीर्ष नेतृत्व ने इनकी जगह पर दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। इसी तरह का बदलाव जनता दल यू में भी देखा जा सकता है। बढ़ती उम्र को देखते हुए नीतीश कुमार भी संगठन में बदलाव करना शुरू कर दिए हैं। इसी के मद्दे नजर उन्होंने मंत्रिमंडल में इस बार नए चेहरों को तरजीह दी है। ताकि नई पीढ़ी को भी कामकाज का अनुभव हो सके। उनके बेहद करीबी माने जाने वाले आरसीपी सिंह संगठन से संबंधित अधिकांश महत्वपूर्ण कार्य देख रहे हैं।“