क्या भाजपा अपने वरिष्ठ पिछड़े नेताओं को भूल गई !
लखनऊ, 19 अप्रैल
क्या बीजेपी में उत्तर प्रदेश के पिछड़े नेताओं को नजर अंदाज किया जा रहा है। क्या बीजेपी पिछड़ा वर्ग से आने वाले अपने पुराने नेताओं के साथ ‘यूज एंड थ्रो’ की नीति अपना रहा है। फिलहाल उत्तर प्रदेश से आने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदा स्थिति देखने से कुछ ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। पार्टी ने अपने दो वरिष्ठ नेताओं लाल जी टंडन और केशरी नाथ त्रिपाठी को दो राज्यों का राज्यपाल बना चुकी है। लेकिन इन्हीं नेताओं के साथ कभी कदम से कदम मिलाकर केसरिया परचम को अपने खून पसीने से सिंचने वाले वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश सिंह, विनय कटियार वनवास काट रहे हैं। इन नेताओं में लखीमपुर से कई बार विधायक रहे दिवंगत नेता रामकुमार वर्मा भी शामिल रहें। जिन्हें मौजूदा शीर्ष नेतृत्व ने नजर अंदाज किया।
बता दें कि राम मंदिर आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश भाजपा की टीम में कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, केशरी नाथ त्रिपाठी, लाल जी टंडन, विनय कटियार, कलराज मिश्रा जैसे नेताओं ने भाजपा को अपने खून पसीना से सींचा और पार्टी को मजबूत करने में दिन रात मेहनत किए। लेकिन आज स्थिति विपरीत है। ऐसा लगता है कि पार्टी ने अपने पुराने सवर्ण नेताओं को तो खास अहमियत दी, लेकिन पिछड़े नेताओं को भूल गई।
केशरी नाथ त्रिपाठी एवं लालजी टंडन बने गवर्नर:
उत्तर प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ को सौंपने के बाद प्रदेश के ब्राह्मण मतदाताओं को खुश करने के लिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व अपने पुराने सवर्ण नेताओं को कई अहम पदों से सुशोभित किया, लेकिन पिछड़ा समाज से आने वाले नेताओं को नजरअंदाज किया।
कल्याण सिंह की टीम में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले राजनाथ सिंह आज केंद्र में गृह मंत्री हैं, कलराज मिश्रा कल तक केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल थे। केशरी नाथ त्रिपाठी को पश्चिम बंगाल का गवर्नर बना दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रिय लालजी टंडन को बिहार का गवर्नर बना दिया गया। इनके अलावा गोरखपुर मंडल में ब्राह्मण समाज को खुश करने के लिए शिवप्रताप शुक्ल को न केवल राज्यसभा भेजा गया, बल्कि उन्हें केंद्रीय मंत्रीमंडल में शामिल भी किया गया।
इसके विपरीत हम भाजपा के पिछड़े नेताओं पर नजर डालें तो केवल कल्याण सिंह को राजस्थान का गवर्नर बनाया गया। इनके अलावा वरिष्ठ पद की आस करते करते वयोवृद्ध नेता रामकुमार वर्मा का पिछले साल निधन हो गया। उधर, ओमप्रकाश सिंह जो कल्याण सिंह के शासन काल में उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं। मिर्जापुर के चुनार से कई बार विधायक एवं उत्तर प्रदेश सरकार में सिंचाई विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों के कैबिनेट मंत्री रह चुके ओमप्रकाश सिंह वनवास काट रहे हैं। इसी तरह कभी अयोध्या आंदोलन के फायर ब्रांड रहे विनय कटियार भी पार्टी की मुख्य लाइन से दूर हैं।
क्या कहते हैं पिछड़ा समाज के वरिष्ठ लोग:
लखनऊ हाई कोर्ट में एडवोकेट नंदकिशोर पटेल सीधा कहते हैं कि बीजेपी अपने सवर्ण मतदाताओं को सहेजने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन पिछड़ा समाज से आने वाले नेताओं को ‘यूज एंड थ्रो’ नीति के तहत अब उन्हें अलग-थलग छोड़ दिया
‘अर्बन लिंक’ नामक मैगजीन के सीईओ एवं पत्रकार डॉ.राजेश वर्मा कहते हैं कि भाजपा सहित सभी पार्टियां पिछड़ों को नजरअंदाज कर रही हैं। भाजपा की वर्तमान सफलता में पिछड़ा समाज का भी बहुत योगदान है, लेकिन सत्ता में आने पर भाजपा पिछड़ा समाज के नेताओं को तवज्जो नहीं देती है। फिलहाल उत्तर प्रदेश सरकार का कैबिनेट देखने से यह आरोप और मजबूत हो जाता है। जहां कैबिनेट में सवर्ण नेताओं को तवज्जो दी गई है, जबकि स्वतंत्र देव सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को मात्र राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तक सीमित कर दिया गया है।