जाति विशेष के 34 लोगों की गला काटकर हुई थी निर्मम हत्या
यूपी80 न्यूज, पटना
बिहार Bihar के जहानाबाद Jehanabad जिले की बहुचर्चित सेनारी नरसंहार Senari Massacre के सभी 13 दोषियों को पटना हाईकोर्ट Patna High Court ने बरी कर दिया है। बता दें कि 18 मार्च 1999 को ऊंची जाति Upper Caste के एक जाति विशेष के 34 लोगों को घर से खींचकर बेरहमी से हत्या कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए सभी 13 दोषियों को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
सेनारी नरसंहार Senari Massacre मामले में जहानाबाद जिला अदालत ने 15 नवंबर 2016 को 10 को मौत की सजा और 3 को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
बता दें कि 18 मार्च 1999 की रात्रि प्रतिबंधित नक्सली संगठन एमसीसी MCC के लोगों ने सेनारी गांव को चारों ओर से घर लिया था और एक जाति विशेष के 34 लोगों को घर से जबरन निकालकर बेरहमी से गला रेत कर उनकी हत्या कर दी गई।
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90 के दशक में बिहार में जातीय संघर्ष:
बता दें कि 90 के दशक में बिहार में सवर्ण Upper Caste और दलित Dalit जातियों में खूनी संघर्ष तेज हो गया। सवर्णों को रणवीर सेना का समर्थन मिला तो दलित जातियों को प्रतिबंधित संगठन एमसीसी का।
जघन्य हत्याकांड था सेनारी:
18 मार्च 1999 की रात को सेनारी गांव में प्रतिबंधित संगठन एमसीसी ने घेर लिया। गांव के उच्च जाति के मर्दों को जानवरों की तरह खींचकर घर से बाहर निकाला गया। फिर उनका गला काट दिया गया।
बताया जाता है कि इस घटना के बाद पटना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार रहे पद्मनारायण सिंह जब अपने गांव सेनारी पहुंचे तो अपने परिवार के 8 लोगों की कटी लाशें देखकर उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई।
बिहार की बहुचर्चित जातीय हत्याएं:
1 दिसंबर 1997 को जहानाबाद के लक्ष्मणपुर-बाथे Lakshmanpur Bathe Massacre के शंकरबिगहा गांव में 58 दलितों की बेरहमी से हत्या। इस हत्याकांड में महिलाओं और बच्चों को भी मार दिया गया।
10 फरवरी 1998 को नारायणपुर गांव में 12 लोगों की हत्या
18 मार्च 1999 को सेनारी हत्याकांड
1 दिसंबर 1997 को जहानाबाद के लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार को करीब से रिपोर्टिंग करने वाले तत्कालीन टाईम्स ऑफ इंडिया के वरिष्ठ पत्रकार संजय झा कहते हैं,
“1990 के दशक में बिहार की स्थिति भयावह थी। कब क्या घटित हो जाए, कोई नहीं जानता था। चारों तरफ भय का माहौल था।
लेकिन पिछले दो दशक में बिहार बहुत बदला है, लोगों ने विकास की ओर देखना शुरू किया है। इस बदलाव में किसान और छात्र आगे आए हैं। कृषि बेहतर हुई है और लोग बेहतर शिक्षा की ओर अग्रसर हुए हैं।”
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