आजमगढ़ में सपा प्रत्याशी की जमानत जब्त, तो बलिया में महज 278 वोटों से करना पड़ा संतोष
अशोक जायसवाल, 14 अप्रैल
उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव 2022 में समाजवादी पार्टी Samajwadi Party अपना खाता तक नहीं खोल पायी है। स्थिति यहां तक खराब रही कि समाजवादी पार्टी Samajwadi Party के मुखिया अखिलेश यादव Akhilesh Yadav के नौरत्न Nauratna भी बुरी तरह से पराजित हुए। हालात तो ऐसे रहे कि एक रत्न ने चुनाव मैदान में उतरने से ही मना कर दिया।
आनंद भदौरिया ने मैदान छोड़ा:
अखिलेश यादव के नवरत्नों में शामिल आनंद भदौरिया Anand Bhadauria ने चुनाव में उतरने से ही मना कर दिया। वह सीतापुर से एमएलसी रह चुके हैं।
उदयवीर सिंह का पर्चा छीन लिया गया:
अखिलेश यादव के मजबूत स्तंभ माने जाने वाले एटा-मैनपुरी-मथुरा सीट से दावेदारी कर रहे उदयवीर सिंह का नामांकन से पहले पर्चा ही छीन लिया गया। उनके साथ हाथापाई भी की गई।
रामगोपाल यादव के भांजे भी मैदान छोड़ दिए:
सपा के राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव के भांजे पूर्व एमएलसी अरविंद प्रताप भी मैदान छोड़ दिए।
सुनील सिंह साजन को महज 400 वोट मिले:
पिछली बार निर्विरोध चुनाव जीतने वाले अखिलेश यादव के खासमखास सुनील सिंह साजन को मात्र 400 वोटों से ही संतोष करना पड़ा। वह लखनऊ-उन्नाव से जोर आजमाइश कर रहे थे।
राजेश यादव भी बुरी तरह पराजित हुए:
बाराबंकी से चुनाव लड़ने वाले राजेश यादव को महज 527 वोटों से संतोष करना पड़ा।
दिलीप यादव को महज 205 वोट:
आगरा-फिरोजाबाद सीट से सपा प्रत्याशी दिलीप यादव को महज 205 वोट ही मिल पाए हैं।
बस्ती-सिद्धार्थनगर से संतोष यादव भी हारे:
सिद्धार्थनगर से सपा प्रत्याशी संतोष यादव सनी भी बुरी तरह से पराजित हुए हैं।
बलिया में अरविंद गिरी को महज 278 वोट ही मिला:
बलिया से सपा प्रत्याशी एवं सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी अरविंद गिरी को महज 278 वोट ही मिला है। यहां से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पौत्र रविशंकर सिंह पप्पू ने जीत हासिल की है।
सपा के गढ़ आजमगढ़ में राकेश यादव गुड्डू की जमानत जब्त:
खास बात यह है कि एक महीने पहले समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ की सभी 10 विधानसभा सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल की। इसके अलावा मऊ की 4 में से तीन सीटों पर कब्जा किया था, बावजूद इसके सपा प्रत्याशी राकेश यादव गुड्डू अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। उन्हें महज 356 वोटों से संतोष करना पड़ा। यहां बताया जाता है कि पार्टी के अंदरूनी कलह ने ही पार्टी की हार का कारण बना।