पं.नेहरू की पुण्यतिथि पर कांग्रेस द्वारा आयोजित वेबिनार में वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बबेले ने कही ये बात
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
पं.जवाहर लाल नेहरू और लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के बीच अंतर्विरोध की अफवाह फैलाने वालों को जानना चाहिए कि सरदार पटेल के जीते जी ही नेहरू ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया था। नेहरू, बोस, पटेल सभी गांधी जी के नेतृत्व में अंग्रेजों से लड़ रहे थे, लेकिन जो लोग आज इन नेताओं के बीच मतभेद की अफवाह फैलाने में लगे हैं, वो उस समय अंग्रेजों की तरफ से गांधी जी के खिलाफ लड़ रहे थे। यह विचार ‘नेहरू-मिथक और सत्य’ पुस्तक के लेखक एवं वरिष्ठ पत्रकार पीयूष बबेले ने गुरुवार को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि पर कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित ‘क्यों नेहरू के साथ होना लोकतंत्र के साथ होना है’ विषय पर आयोजित वेबिनार के दौरान व्यक्त की।
पीयूष बबेले ने कहा कि देश की एकता और अखंडता को तोड़ने वाली विचारधारा की मजबूरी है कि वो नेहरू के खिलाफ अफवाह फैलाए, क्योंकि वो जिस तरह की सामंती, पूंजीवादी और रूढ़िवादी समाज बनाना चाहते हैं, उसमें नेहरू और गांधी जी के अन्य सहयोगी सबसे बड़े रोड़े हैं।
पीयूष बबेले ने कहा नेहरू की कूटनीति का ही परिणाम है कि आज कश्मीर भारत का हिस्सा है।
वरिष्ठ राजनीति शास्त्री और लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने कहा कि नेहरू का रास्ता मध्य मार्ग का रास्ता है। वो बुद्ध, अशोक और अकबर का रास्ता है जो सबके साथ समन्वय बनाकर देश को एकजुट करता है। उन्होंने कहा कि संघ और भाजपा को बताना चाहिए कि सावरकर को 1924 से 1947 तक हर महीने अंग्रेज सरकार किस वीरता के लिए पेंशन देती थी।
श्री दीक्षित ने कहा कि नेहरू वैचारिक असहमति रखने वालों को कितना महत्व देते थे वो इससे समझा जा सकता है कि उन्होंने अपनी सरकार में अम्बेडकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत पांच गैर कांग्रेसी नेताओं को मंत्री बनाया था।
इस मौके पर वेबिनार की अध्यक्षता अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज आलम ने किया। इस मौके पर सेवानिवृत आईएएस अधिकारी अनीस अंसारी, वरिष्ठ पत्रकार अमलेंदु, कांग्रेस जनव्यथा निवारण सेल के संजय शर्मा, प्रवक्ता ओबैदुल्ला नासिर, कांग्रेस डिजिटल मीडिया हेड अनूप पटेल इत्यादि ने संबोधित किया।












