संगठन विस्तार पर जोर, पं.बंगाल, असम के बाद यूपी में भी जोर-आजमाइश करेगी जदयू JDU
यूपी80 न्यूज, लखनऊ/पटना
प.बंगाल एवं असम के बाद जनता दल यू JDU उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। बिहार का 7वीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार CM Nitish Kumar ने संगठन विसतार की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसी के मद्देनजर पिछले सप्ताह आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने पार्टी की कमान आरसीपी सिंह RCP Singh को दी। इसका आगाज 24 जनवरी को लखनऊ में आयोजित होने वाली जननायक कर्पूरी ठाकुर जयंती Karpuri Thakur Jayanti समारोह से होगा। नीतीश कुमार ने फिलहाल यह जिम्मेदारी जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी General Secretary KC Tyagi को दी है। इसके अलावा अगले महीने समाजवादी पार्टी के दिवंगत कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा Beni Prasad Verma की जयंती पर आरसीपी सिंह उनके पैतृक गांव बाराबंकी जा सकते हैं। बता दें कि कभी बेनी प्रसाद वर्मा से आरसीपी सिंह का काफी करीबी संबंध रहा। लेकिन पिछले साल कोरोना काल में बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के समय आरसीपी सिंह उनके गांव नहीं जा सके थें, इसलिए अब राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी सिंह बेनी बाबू के गांव जाएंगे।
बता दें कि पिछले सप्ताह पटना में आयोजित जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ही यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बन गई थी। नीतीश कुमार ने पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से परामर्श के बाद यूपी में चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। पार्टी के बिहार के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह Vashisht Narayan Singh कह चुके हैं कि पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने का प्रयास किया जाएगा और इसी रणनीति के तहत पार्टी यूपी चुनाव भी मजबूती से लड़ेगी।
पढ़ते रहिए www.up80.online आरसीपी सिंह बने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कलेक्टर से राजनेता तक का सफर
हालांकि पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो ज्ञात होता है कि जनता दल यू पिछले 2 दशक के दौरान प्रदेश में कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सकी। पिछले 2 दशक में जदयू को प्रदेश में केवल 1-2 सीटों पर ही जीत हासिल हुई।
चूंकि बिहार में जदयू का मूल वोटर कुर्मी-कोइरी Kurmi-Koeri के अलावा अति पिछड़ी जातियां हैं। सवर्णों को साधने के लिए नीतीश कुमार ने बिहार की सबसे कद्दावर जाति भूमिहारों में भी सेंध लगाने की कोशिश की और इसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली। इसी आधार पर जदयू उत्तर प्रदेश में भी चुनाव लड़ना चाहती है। प्रदेश में कुर्मी-कोइरी Kurmi – Koeri मतदाताओं के अलावा अति-पिछड़ी जातियां भी काफी तादाद में हैं। प्रदेश में अब कोई भी पार्टी कुर्मी-कोइरी समाज को नजरअंदाज नहीं कर सकता है।
समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने तो अपना प्रदेश अध्यक्ष कुर्मी जाति से बनाया है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य Keshaw Prasad Maurya कोइरी जाति से हैं। इनके अलावा बसपा के विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा भी कुर्मी बिरादरी से आते हैं। बसपा ने भी अपना प्रदेश अध्यक्ष अति पिछड़ी जाति से आने वाले भीम राजभर को बनाया है। इनके अलावा बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) Apna Dal (S) का मूल वोटर कुर्मी समाज व अति पिछड़ी जातियां हैं। अपना दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.जमुना प्रसाद सरोज Dr Jamuna Prasad Saroj दलित समाज से आते हैं। कांग्रेस ने भी अपना प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ी जाति से आने वाले अजय कुमार लल्लू Ajay Kumar Lallu को बनाया है।
2017 में प्रचार के बावजूद नहीं लड़ी थी चुनाव:
2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जदयू ने चुनाव की काफी तैयारी की थी। नीतीश कुमार ने प्रदेश में कई स्थानों पर चुनाव प्रचार भी किया, लेकिन ऐन मौके पर जदयू चुनाव मैदान से पीछे हट गई। नीतीश कुमार के इस फैसले से यूपी के जदयू कार्यकर्ताओं में काफी निराशा हुई और इसी वजह से चुनाव के ऐन मौके पर प्रदेश के काफी नेता अन्य पार्टियों में शामिल हो गए।
पढ़ते रहिए www.up80.online बिहार चुनाव: महिलाओं ने नीतीश कुमार को बनाया ‘बाजीगर’