किसान संगठनों Farmers organisation का दावा-नए कृषि कानूनों से कॉरपोरेट को बढ़ावा
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
‘कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन Farmers protest को कमजोर करने के लिए साजिश रची जा रही है।‘ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी AIKSCC) के वर्किंग ग्रुप ने यह बात कही है और इसकी तीखी निंदा की है। एआईकेएससीसी ने तीनों कृषि कानून और बिजली बिल 2020 को तत्काल रद्द करने की मांग की है।
एआईकेएससीसी की वर्किंग कमेटी के सदस्य योगेंद्र यादव Yogendra Yadav का कहना है कि पहले केंद्र सरकार ने दावा किया कि किसानों का यह आंदोलन राजनीतिक दलों द्वारा प्रोत्साहित है। फिर कहा कि यह विदेशी ताकतों द्वारा प्रोत्साहित है, इसके बाद इसे केवल पंजाब का आंदोलन कहा गया। फिर कहा कि किसानों की यूनियनें वार्ता से बच रही हैं, जबकि यूनियनों ने सभी वार्ताओं में भाग लिया और विस्तार से सरकार को अपना पक्ष समझाया। लेकिन केंद्र सरकार हमारी मांगों को लेकर गंभीर नहीं है।
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किसानों को झेलनी पड़ी अनेक दिक्कतें:
आंदोलन के शुरू में किसानों को पंजाब में अनेक दिक्कतें झेलनी पड़ी। फिर दिल्ली में उन्हें रोकने के लिए अनेक सड़कें काटी गईं। बैरिकेड लगाए गए, ठंडे पानी की बौछार और आंसू गैसे छोड़े गए।
कारपोरेट को बढ़ावा:
किसान संगठनों का आरोप है कि भारतीय खेती में कॉरपोरेट को बढ़ावा देने के लिए निजी मंडियां स्थापित की जा रही हैं और किसानों को ठेके की खेती में शामिल करने की तैयारी की गई है। इससे लागत के दाम बढ़ेंगे, किसान कर्जदार होंगे और जमीन से बेदखल होंगे। जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा कहते हैं कि सरकार ने जो दस्तावेज ‘पुटिंग फामर्स फर्स्ट’ जारी किया है, उसके पृष्ठ 16 पर लिखा है कि ये कानून कॉरपोरेट के कृषि व्यवसायियों को आगे कर देगा।
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