एआईकेएससीसी AIKSCC की चेतावनी-यदि खेती कॉरपोरेट के हाथों सौंपी जाएगी तो देश भर में अशांति
Farmers will boycott political parties that support agricultural bills
यूपी80 नई दिल्ली
किसान संगठनों Farmers Union ने चेतावनी दी है कि कृषि बिलों का समर्थन करने वाले दलों का विभिन्न रूपों में सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी AIKSCC) ने 20 सितंबर को भारतीय किसानों के जीवन तथा संसदीय इतिहास का सबसे काला दिवस Black Day बताया है। सरकार ने किसानों के हित के विपरीत विदेशी कम्पनियों व कॉरपोरेट Corporate के पक्ष में संसद के सारे नियमों को ताक पर रख दिया। किसान संगठनों ने 25 सितम्बर को पंजाब, हरियाणा व स्थानीय इलाकों में बंद और पूरे देश में चक्का जाम व विरोध सभाएं करने का ऐलान किया है।
एआईकेएससीसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री ने अभी यह कानून पारित कर ग्रामीण इलाकों में कार्पोरेट व विदेशी कम्पनियों को मंडियां खोलने की अनुमति दी है। अब सरकार ने खुद को फसल की खरीदारी की जिम्मेदारी से पूरी तरह हटा लिया है। यह वैसा है जैसे सरकारी अस्पताल के काम न करने पर उन्हें पूरी तरह से बंद कर दिया जाये और निजी क्षेत्र की लूट के लिए चिकित्सा खोल दी जाये।
ये कानून किसानों के फसल खरीदनें के लिये विदशी कम्पनियों व कॉरपोरेट को खुली छूट देते हैं लेकिन ये कानून न तो एमएसपी की घोषणा के लिये सरकार को बाध्य करते हैं और न ही उस दाम पर न खरीदने पर निजी कम्पनी को सजा देने का प्रावधान करता है।

एआईकेएससीसी के संयोजक वीएम सिंह कहते हैं कि किसान अपनी फसल खेत से दूर नहीं ले जा सकता। अब जब केवल कॉरपोरेट खरीदार होगा और सरकार गायब होगी तो फसल के दाम औंधे मुह गिरेंगे। इस कानून में ठेके में मध्यस्थ का प्रावधान है, जो तय करेगा कि खेती में कुछ गलत काम तो नहीं हुआ या फसल क्वालिटी क्या है, जिससे नमी आदि के नाम पर तय रेट घटाये जा सकते हैं।
ठेकों के अमल के लिये कोई पेनाल्टी का प्रावधान नहीं है, बल्कि पेमेंट करने में कम्पनियों को 3 दिन की छूट है। विवाद अदालतों की बजाय एसडीएम द्वारा गठित एक कमेटी करेगी या एसडीएम खुद करेगा।
यह कानून कॉरपोरेट को किसानों की जमीन एकत्र करके खेती कराने की छूट देता है, दाम गिरने या फसल के नुकसान के घाटे को किसान पर लादता है, उसपर कर्ज का बोझ बढ़ाता है और सारा मुनाफा कम्पनियों को सौंपता है। एआईकेएससीसी ने चेतावनी दी है कि यदि खेती कॉरपोरेट के हाथों सौंपी जाएगी तो देश भर में अशांति फैलेगी।
आशंका:
किसानों को आशंका है कि लागत के सामान पर नियंत्रण तथा आयात-निर्यात की छूट कम्पनियों को देकर यह बाजारों को गेहूं, चावल, दाल, दूध, सोया आदि से पाट देगा और इनके दाम बहुत गिरा देगा। इससे किसानों की ‘आत्मनिर्भरता’ और घटेगी और वह खेती से बेदखल होंगे।
सभी संगठनों से सहयोग की अपील:
एआईकेएससीसी ने सभी किसानों, खेत मजदूरों, आदिवासियों, मछुआरों, ग्रामीण व्यापारियों, जनवादी ताकतों, ट्रेड यूनियन से एकजुट होने की अपील की है। देश के कई ट्रेड यूनियनों व जनवादी संगठनों ने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है।
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