40 परसेंट से अधिक किसानों को कटाई और बुवाई में देरी हुई, सर्वाधिक नुकसान बिक्री में हुई
सीएसडीएस CSDS के सहयोग से प्रतिष्ठित वेबसाइट ‘गांव कनेक्शन Gaon Connection’ के सर्वे में हुआ खुलासा
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
कोरोना काल के दौरान देश में लागू लॉकडाउन Lockdown की वजह से देश की एक तिहाई परिवारों को कई बार (23 परसेंट) पूरा दिन भूखे रहना पड़ा। एक तिहाई परिवारों को अपने घर का खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा या फिर जायदाद, जेवर आदि बेचने पड़े। ग्रामीण पत्रकारिता से जुड़ी देश की प्रतिष्ठित वेबसाइट ‘गांव कनेक्शन Caon Connection’ द्वारा सीएसडीएस CSDS के सहयोग से देश के 23 राज्यों के 179 जिलों में किए गए हालिया सर्वे में यह खुलासा हुआ है।

सीएसडीएस के सीनियर फेलो एवं स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव का कहना है कि सर्वे का सैंपल पूरी तरह वैज्ञानिक नहीं है, लेकिन सीएसडीएस की मदद से इस सर्वे में सवाल अच्छे ढंग पूछे गए हैं। इस लिहाज से यह सर्वे लॉकडाउन के ग्रामीण जनता पर हुए असर को समझने का एक अच्छा जरिया है। यह सर्वे जून के पूरे महीने और जुलाई के पहले पखवाड़े में किया गया।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर:
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भारी धक्का लगा
केवल 5 परसेंट परिवारों को छोड़कर सभी के काम-धंधे पर प्रतिकूल असर पड़ा।
44 परसेंट का काम पूरी तरह से ठप हो गया।
40 परसेंट से अधिक किसानों को कटाई और बुवाई में देरी हुई
सर्वाधिक नुकसान बिक्री में हुई। इसकी भरपाई के लिए सरकार ने कोई घोषणा नहीं की।
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23 परसेंट परिवारों को भूखा रहना पड़ा:
सर्वे के अनुसार लगभग आधे ग्रामीण परिवारों को लॉकडाउन Lockdown के कारण खाने-पीने में कटौती करनी पड़ी।
कुल एक तिहाई परिवारों को लॉकडाउन के दौरान बहुत बार (12%) और कई बार (23%) पूरा दिन भूखे रहना पड़ा। एक तिहाई परिवारों को घर का खर्च चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा या फिर संपत्ति, गहना इत्यादि बेचने पड़े। योगेंद्र यादव का मानना है कि ऐसी गंभीर समस्या से उबरने में गरीब परिवार को कई साल लग जाते हैं, कई परिवार तो कभी उठ नहीं पाते।

केवल 63 परसेंट घरों को मिला राशन:
सर्वे में यह भी पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में केवल 63 परसेंट घरों को राशन मिला, जो कि सरकार के ग्रामीण इलाकों के 75 परसेंट के मानक से काफी कम है। आंगनबाड़ी अथवा मिड डे मील का राशन केवल एक चौथाई घरों में पहुंचा। जबकि मनरेगा MNREGA का लाभ केवल 20 परसेंट परिवारों को मिला।
रास्ते में हर आठ प्रवासी में से एक को पुलिस ने पीटा:
प्रवासी मजदूरों Migrant workers की स्थिति सबसे खराब रही। दो-तिहाई प्रवासी मजदूरों को शहर में सरकारी खाना नहीं मिला। रास्ते में हर 8 प्रवासी में से एक को पुलिस ने पीटा। मजे की बात यह है कि इन समस्याओं के बावजूद तीन-चौथाई लोग इस संकट के दौरान केंद्र एवं राज्य सरकार के उठाए गए कदम से संतुष्ट हैं।
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