पांचवीं तक मातृभाषा में ही होगी पढ़ाई
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
देश में शिक्षा में सुधार एवं रोजगार को बढ़ावा देने के लिए तीन दशक बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी गई। 1986 के बाद पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव किए गए हैं।
नई शिक्षा नीति के तहत महत्वपूर्ण सुधार:
सभी स्कूलों में कक्षा पांचवीं तक के बच्चों को दिए जाने वाले दिशा-निर्देश मातृभाषा या संबंधित राज्य की क्षेत्रीय भाषा में दिए जाएंगे।
सभी स्तरों पर संस्कृत और सेकेंडरी स्कूल स्तर पर विदेशी भाषाएं भी प्रस्तावित की जाएंगी।
अब 10 प्लस 2 की बजाय 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 की तर्ज पर पढ़ाई होगी। अर्थात 3 साल से 6 साल तक का बच्चा एक ही स्तर पर बढ़ाई करेगा।
6 से 9 साल के बच्चे जो 1 से 3 क्लास में होते हैं, उनके लिए नेशनल मिशन शुरू किया जाएगा।
छठीं से आठवीं कक्षा में विषय के बारे में जानकारी दी जाएगी। फिजिक्स के साथ-साथ फैशन की पढ़ाई भी होगी।
कक्षा 6 से बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी।
जो बच्चे शोध क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनके लिए 4 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा और जो लोग नौकरी करना चाहते हैं उनके लिए 3 साल का डिग्री प्रोग्राम होगा। रिसर्च करने वाले छात्रों को एमफिल करने की बाध्यता नहीं होगी। एक साल के एमए के बाद चार साल का डिग्री प्रोग्राम में जा सकेंगे।
डिग्री के बीच में भी कॉलेज छोड़ सकते हैं:
अब आप बीच में भी कॉलेज छोड़ सकते हैं। एक साल में छोड़ने पर प्रमाण पत्र, दो साल में डिप्लोमा और तीन साल पूरा करने पर डिग्री मिलेगी।
विदेशी संस्थानों के कैम्पस खोलने की तैयारी:
दुनियाभर के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों का देश में ही कैम्पस खोले जाएंगे।
पुराने व अनुपयोगी कोर्स बंद किए जाएंगे।
उच्च शिक्षण संस्थानों का कार्य अकादमिक एवं रिसर्च पर फोकस रहेगा।
अब कौशल व रोजगार संबंधित शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाएगा।