गलवान वैली में भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद चीनी वस्तुओं का हो रहा है बहिष्कार
Shock to China on Rakhi; There may be a loss of 4 thousand crores: CAIT
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
गलवान में भारतीय सैनिकों के साथ किए गए बर्बरतापूर्ण कृत्य के बाद चीनी वस्तुओं के बहिष्कार Boycott of chinese goods का असर दिखने लगा है। रक्षा बंधन पर चीन को 4 हजार करोड़ रुपए तक का झटका लग सकता है। बाजारों में चीनी वस्तुओं से बनी राखियों की बजाय भारतीय सामान से बनी राखियों की मांग बढ़ गई है।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के मुताबिक प्रतिवर्ष लगभग 6 हजार करोड़ रुपए का राखी का व्यापार होता है, जिसमें पिछले कई वर्षों से चीन लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की राखी अथवा राखी का सामान भारत को निर्यात करता रहा है। लेकिन इस बार पिछले महीने गलवान वैली में चीनी सैनिकों और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद व्यापारियों ने कैट की अगुवाई में चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया था। जिसका अब असर दिखने लगा है।
चीन इन वस्तुओं का करता रहा है निर्यात:
पिछले कुछ सालों में चीन से आयातित फोम, मोती, बूंदें, धागा, सजावटी थाली आदि का राखियों के निर्माण में सर्वाधिक इस्तेमाल होता रहा है। एक तरह से कह सकते हैं कि भारतीय राखी बाजार पर चीन का कब्जा हो गया था। राखी के त्यौहार पर एक अनुमान के अनुसार देश भर में लगभग 50 करोड़ से ज्यादा राखियां खरीदी जाती हैं। प्रतिवर्ष लगभग 6 हजार करोड़ रुपए का राखी का व्यापार होता है। जिसमें पिछले कई वर्षों से चीन लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की राखी अथवा राखी का सामान भारत को निर्यात करता आया है। लेकिन इस बार चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की वजह से चीन को 4 हजार करोड़ रुपए के व्यापार का झटका लगने का अनुमान है।
कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने का प्रयास:

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि चीनी उत्पादों के बहिष्कार के अभियान ने देश भर में भारतीय व्यापार में अनेक नए बड़े अवसर प्रदान किए हैं। देश भर में कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं, घरों तथा आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाएं बड़े पैमाने पर कैट के सहयोग से राखियां बना रही हैं और इससे उन्हें न केवल रोजगार मिल रहा है बल्कि अकुशल महिलाओं को कुशल श्रमिकों के तौर पर विकसित कर रहा है।
बाजारों में बीज राखी:
इस बार बाजारों में पारंपरिक राखी, मोदी राखी के अलावा पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए बीज राखी भी बनाई जा रही हैं। ताकि इन बीजों का इस्तेमाल राखी के बाद पौधे लगाने के काम में आ सके ।