इस गंभीर मुद्दे को अपना मोर्चा ने मजबूती से उठाया
यूपी 80 न्यूज़, लखनऊ
अपना मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक चौधरी बृजेन्द्र सिंह पटेल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भूमि अधिग्रहण, विस्थापन के दौरान अलग अलग जिलों में पिछले एक दशक में करीब पांच हजार किसानों पर गंभीर आपराधिक धाराओं में मुकदमें दर्ज हैं। राज्य सरकार ने पिछले वर्षों में दर्जनों लोगों से आपराधिक मुकदमे वापस लिए हैं। हमारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया जाए, जिसमें बीते 10 वर्षों के अंदर हुए किसान आंदोलन के दौरान किए गए मुकदमे वापस लिए जाएं।
चौधरी बृजेन्द्र सिंह पटेल ने कहा कि अलग अलग जिलों में अधिग्रहण के दौरान अधिकारियों ने मनमानी की थी, जिसके कारण आंदोलन की स्थितियां पैदा हुई। शांतिपूर्ण धरना में अराजकता कैसे पैदा होती है, इसका उदाहरण सोनभद्र जिले के दुद्धी इलाके में मोर्चा की जनसुनवाई में सामने आया। कनहर बांध परियोजना में विस्थापन के दौरान आदिवासी वहां धरना दे रहे थे और बालू में धंसकर गिरे एसडीएम ने वहां लाठी चार्ज करवा दिया और हंगामा हो गया। 2014 में 75 नामजद आदिवासी समाज के महिला पुरुष और बच्चों पर तथा 500 अज्ञात लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज कर लिए। अनेक आश्वासन के बाद भी रिपोर्ट वापस नहीं ली गई। पुलिस किसी भी निर्दोष को अज्ञात में दिखाकर थाने ले आती है। कनहर का बांध प्रोजेक्ट 1976 में प्रारंभ हुआ था जो आज तक अपूर्ण हैं।
इसी तरह प्रयाग राज जिले के कचरी में वर्ष 2011 में कचरी पावर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण के दौरान किसान आंदोलन में 200 नामजद और 600 से अधिक अज्ञात लोगों पर रिपोर्ट दर्ज है। अलग अलग राजनीतिक दल उन किसानों से मिले। सरकारें बदली और मुकदमा वापसी का आश्वासन देने वाले सपा और भाजपा दोनों दलों की सरकार आई और अभी है, पर मुक़दमे नहीं हटाए गए।
किसानों के खिलाफ दर्ज किए मुकदमे हत्या के प्रयास, सरकारी कामकाज में बाधा, आगजनी गैंगस्टर जैसे गंभीर धाराओं में हैं। हमीरपुर, उन्नाव जिले में भी ऐसे 500 से अधिक मुक़दमे दर्ज हैं। एक-एक किसान पर तीन-तीन एफआईआर हैं। सैकड़ों लोग जेल हो आए। पीढ़ियां बदल गई और जिन परियोजनाओं के लिए जमीन ली गई वो अधूरी हैं या फिर शुरू ही नहीं हो पाई। लाखों एकड़ जमीन बड़े बड़े कारोबारी लोगों के कब्जे में चली गई और विस्थापन का दंश झेल रहे किसान मुआवजा के बदले मुकदमों से घिरे हैं। ऐसे ही माहौल के कारण जिलों में राजस्व विभाग के आर्थिक अपराध चरम पर है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अलग-अलग समय पर किसानों से जिस प्रयोजन के लिए जमीन खरीदी है समय बीत जाने के बाद भी उन परियोजनाओं को पूरा नहीं किया गया। उन परियोजनाओं की कीमत 25-25 गुना से अधिक बढ़ चुकी है। उदाहरण के तौर पर सोनभद्र की कनहर बांध योजना में यह बांध परियोजना 28 करोड रुपए से शुरू हुई थी जो अब तक 3500 करोड रुपए के आसपास पहुंच चुकी है और योजना अधूरी है। इन योजनाओं के हालात और किसानों पर दर्ज मुकदमों का वापस लिए जाने के मामले इस समिति के द्वारा सुनकर सरकार फैसला करे।
जातीय उत्पीड़न:
उत्तर प्रदेश के किसान बिरादरी में शामिल कुर्मी जाति के केश पाल सिंह पटेल की हत्या कर दी गई। फतेहपुर के धाता के अजरौली पलावा गांव के रहने वाले केश पाल जी पर गांव के एक जातीय उन्माद से लबरेज युवक श्याम पांडे ने फरसा कुल्हाड़ी से हमला किया। उनके साथ ही राम लखन पटेल और वीर भान पटेल को मरणासन्न कर दिया। इस मामले में पुलिस ने रिपोर्ट सही धाराओं में नहीं लिखी। 26 अगस्त की इस घटना के बाद रिश्तेदरों को भी वहां जाने से रोका गया। जब कुर्मी समाज ने अफसरों का घेराव किया, प्रदेश में आंदोलन की स्थितियां बन गई तब 13 सितंबर को सुरक्षा और नौकरी का आश्वासन मिला। इस मामले की उच्च स्तरीय जांच आवश्यक है। पीड़ित परिवार को संविदा के बजाय स्थाई नौकरी दिए जाने का प्रबंध किया जाए।
वार्ता के दौरान मोर्चा के सह संयोजक और अपना दल बलिहारी के अध्यक्ष धर्म राज पटेल, सह संयोजक और राष्ट्रीय जन सरदार पार्टी के अध्यक्ष हेमंत चौधरी, सह संयोजक बौद्ध अरविंद सिंह पटेल ने भी संबोधित किया ।
इस मौके पर डॉ रविंद्र नाथ द्विवेदी, कुर्मी क्षत्रिय महासभा की प्रदेश अध्यक्ष महिला विंग शोभा पटेल, अखिल भारतीय स्वर्णकार महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री गोविंद वर्मा, एडवोकेट चंद्र प्रताप पटेल, इंद्र जीत पटेल, सौरभ सिंह, दिशा पटेल, अली आजाद, राजकुमार पटेल, राजकुमार पटेल बनारस समेत अन्य लोग मौजूद थे।