यूपी 80 न्यूज़, बलिया
“हालत कैसी भी हो, जो उससे लड़ता है
वही मंज़िल पर पहुँचता हैI “
यह कविता बलिया जनपद के बेल्थरा रोड क्षेत्र की बेटी फरजाना अश्फाक की कड़ी मेहनत को बयां कर रही है।
बेल्थरारोड के अवायां गांव की फरजाना अश्फाक ने अपनी मेहनत के बलबूते असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चयनित हुई है। सिर से मां-बाप का साया उठने के बाद भी फरजाना ने हिम्मत नहीं हारी तथा अपनी पढ़ाई जारी रखी। अंततः उसकी मेहनत रंग लाई और वह दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए चयनित हो गई। उसकी इस सफलता से क्षेत्र में हर्ष की लहर है।
बेल्थरारोड के अवायां गांव निवासी डॉ अश्फाक के चार पुत्रों व पांच बेटियों में फरजाना सबसे छोटी है। सन् 2012 में पत्नी की मौत के बाद भी डॉ अश्फाक ने अपने बच्चों को मां की कमी खलने नहीं दिया। उन्होंने बच्चों को अच्छी तालीम हासिल कर कुछ बनने के लिए प्रेरणा देते रहे। सन् 2019 में डॉ अश्फाक भी इस दुनिया से रुखसत हो गए। परन्तु फरजाना इससे विचलित नहीं हुई तथा अपनी पढ़ाई जारी रखी।
फरजाना ने बेल्थरारोड स्थित श्याम सुंदरी बालिका इंटर कॉलेज से 1996 में हाईस्कूल करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। जहां उसने 1998 में इंटरमीडिएट करने के बाद 2001 में बीए (आनर्स) की डिग्री ली। ग्रेजुएशन के बाद फरजाना ने 2003 में एम.ए. व 2007 में पीजीडीडब्ल्यूएस किया।
बाद में फरजाना ने 2011 में पीएचडी किया। इस दौरान 2012 में उसके पिता की भी मृत्यु हो गई। पिता की मौत के बाद भी वह विचलित नहीं हुई तथा अपना अध्ययन जारी रखा। अंततः उसकी मेहनत रंग लाई व उसका चयन दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हुआ।