जरगो बांध Jargo Dam में बचाए गए पानी को जल जीवन मिशन योजना में इस्तेमाल कर रहे हैं अधिकारी, गेहूं की सिंचाई में कटौती कर धान की नर्सरी के लिए बचाया गया था पानी
यूपी80 न्यूज, मीरजापुर
मीरजापुर Mirzapur जनपद के चुनार Chunar क्षेत्र में इस साल 250 गांवों के किसानों को धान की रोपाई की समस्या आ सकती है। इन गांवों की ढाई लाख बिगहा जमीन पर धान की नर्सरी के लिए किसानों को पानी मिलने की उम्मीद नहीं दिख रही है। इसकी मुख्य वजह जल जीवन मिशन Jal jeevan misshion योजना के अधिकारियों की अदूरदर्शी रणनीति।
चुनार के आसपास के किसानों की सिंचाई की सुविधा हेतु 1959 में द्वितीय पंचवर्षीय योजना के तहत जरगों बांध Jargo dam का निर्माण हुआ। जिसमें 7 नदियों और 27 बरसाती नालों का पानी इकट्ठा होता है। यह पानी चुनार के आसपास के इलाके में खेती के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। यहां पर इमरजेंसी में 5 फीट पानी गर्मियों में भी रोक कर रखा जाता है, लेकिन पिछले साल बारिश कम होने से इस बार किसानों ने गेंहू की तीसरी सिंचाई नहीं की, ताकि बांध का पानी धान की नर्सरी के लिए बचा रहे।
मिर्जापुर Mirzapur और सोनभद्र Sonbhadra जिले में हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के तहत करीब 5500 करोड़ की योजना पर काम चल रहा है। मिर्जापुर जनपद के चुनार तहसील में यह योजना पूरी तरह से जरगो बांध पर आश्रित है। और, जरगो बांध में इस साल पानी ही नहीं है। इसका कारण मानसून के पिछले सीजन में कम बारिश होना है। आने वाले जल संकट को देखते हुए किसान कल्याण समिति ने तय किया था कि गेहूं की तीन सिंचाई की बजाए दो सिंचाई के लिए पानी दिया जाए। तीसरी सिंचाई के लिए मांग के बावजूद बांध से पानी नहीं छोड़ा गया। इसके पीछे समिति का तर्क था कि पानी बचा रहेगा तो धान की नर्सरी समय से पड़ जाएगी और गर्मी में भूगर्भ जलस्तर मेंटेन करने में सहायक होगा, ताकि पशु-पक्षियों समेत आम जन को पेयजल की समस्या से भी न जूझना पड़े।
समस्या की मूल वजह:
दरअसल जल जीवन मिशन के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया है, उसका नाम मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है। इस कंपनी को दिसंबर 2022 में ही काम पूरा करना था। जो समय से पूरा नहीं हो सका। अब उसे पाइप लाइन की टेस्टिंग की जल्दी है। इसके लिए पानी चाहिए। लिहाजा सिंचाई विभाग पर शासन प्रशासन से दबाव बनवाकर किसानों द्वारा धान की नर्सरी के लिए संजोए गए पानी को बहाया जा रहा है।
धौहां ग्राम समूह पेयजल योजना की टेस्टिंग के लिए इस कंपनी ने सिंचाई विभाग से बिना अनुमति के जरगो बांध के मुख्य सुलिश से करीब 100 मीटर दूरी पर मुख्य नहर में एक दीवार बना दी गई है। इसके माध्यम से पानी रोककर निगार वाले रास्ते के माध्यम से नदी में बहाया जा रहा है, ताकि आगे बने पंप से लिफ्ट कर पानी को धौहा ग्राम समूह पेयजल योजना को मुहैया कराया जा सके।
किसानों का कहना है कि एक खास ग्रुप को फायदा पहुंचाने वाली इस योजना के लिए खेती किसानी की अनदेखी की जा रही है। जरगो बांध में बाणसागर बांध से पानी लाने की योजना कभी पूरी नहीं होगी। इसके लिए गंगा नदी से या स्थान-स्थान पर बोरिंग करके पेयजल के लिए पानी की व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन किसानों की आय दोगुनी करने का दावा करने वाली सरकार किसानों की आय को शून्य करने पर तुली है।
किसान कल्याण समिति, जरगो कमांड के कार्यवाहक अध्यक्ष बजरंगी सिंह कुशवाहा कहते हैं,
“समिति का गठन 1980 में हुआ था। तब से लेकर आज तक पहली बार इस तरह की समस्या सामने आई है। सिर्फ शासन प्रशासन की अदूरदर्शिता के कारण। यदि बांध के पानी से धान की नर्सरी पड़ जाएगी तो समय से बारिश होने पर रोपाई हो सकती है। जब नर्सरी ही नहीं पड़ेगी तो बारिश होने पर भी धान की रोपाई नहीं हो सकती। जब तक जरगो से अहरौरा बांध तथा हुसेनपुर बीयर को नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक यह जल जीवन मिशन को मिर्जापुर जिले के चुनार में सफलता नहीं मिल सकती।“
समिति के अध्यक्ष राजेंद्र शास्त्री कहते हैं,
“प्रशासन किसानों के साथ वादा खिलाफी कर रहा है। इनको नरायनपुर पंप कैनाल से पानी उठाकर अहरौरा बांध तथा हुसैनपुर बीयर तक पहुंचाना चाहिए। फिर उसी पानी को पौनी के पास जरगो मेन कैनाल में गिराकर पेयजल की व्यवस्था की जा सकती है।“
श्री शास्त्री कहते हैं,
“प्रशासन बांध से जबरन पानी लेना चाहता है, खेती हो, चाहे न हो। पांच फीट पानी बांध में बचा था, तभी सिंचाई का काम रोक दिया गया था, ताकि आपातकाल में उसका उपयोग किया जा सके। सुलिश की मरम्मत का काम भी अधिकारी नहीं होने दे रहे हैं। सुलिश के कुएं में पानी भरा हुआ है। इसके कारण पुराने फाटक की मरम्मत व पेंटिंग का कार्य नहीं हो पा रहा है। कुएं की दीवार की भी मरम्मत की दरकार है, ताकि पानी के रिसाव को रोका जा सके। यह कार्य भी नहीं हो पा रहा है। क्योंकि इसके लिए पानी का बहाव रोकना आवश्यक है। सुलिश के कुएं को सुखाना होगा, लेकिन प्रशासन की हठवादिता के कारण यह भी नहीं हो पा रहा है।“
श्री शास्त्री पूछते हैं,
“नहर में एक फाल का निर्माण कराने में वर्षों की प्रक्रिया होती है। चीफ इंजीनियर तक से अप्रूवल लेना पड़ता है। यहां सिंचाई विभाग को दरकिनार कर बिना किसी डिजाइन के नहर में दीवार बना दी गई। सबसे बड़ा आश्चर्य इस बात का है कि कंपनी के खिलाफ कैनाल एक्ट के तहत कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही है।“
सूखे की स्थिति में तीन-चार साल तक साथ देता था जरगो बांध का पानी:
इसे एक बार भर जाने के बाद यदि तीन-चार साल बारिश न होने की स्थिति में भी कमांड एरिया की सिंचाई के लिए कोई परेशानी नहीं होती थी, लेकिन जल जीवन मिशन के चलते एक साल से सूखे में ही बांध का पानी सूखने के कगार पर है। पहली मई 2023 को गेज रजिस्टर के अनुसार बांध में मात्र चार फीट पानी बचा है। उसे भी लगातार बहाया जा रहा है।
पहले पीने के लिए पानी की जरूरत: अधिशासी अभियंता
सिंचाई खंड चुनार के अधिशासी अभियंता हरिप्रसाद कहते हैं,
“पहले पीने के लिए पानी की जरूरत है। लिहाजा सरकार का पूरा ध्यान जल जीवन मिशन के कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करने पर है। जहां तक जरगो मेन कैनाल में अनधिकृत रूप से दीवार बनाने का मामला है तो उसकी जांच के लिए सहायक अभियंता को भेजा गया है। उनकी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।“