योगी सरकार ने बिजली कर्मियों के भविष्य निधि घोटाले की सीबीआई जांच का प्रस्ताव केंद्र को भेजा
लखनऊ, 4 नवंबर
डीएचएफसीएल घोटाले में योगी सरकार फंसेगी या इसका ठिकरा पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार पर फोड़ कर बच जाएगी। ये तो वक्त बताएगा, लेकिन इतना जरूर है कि आने वाले 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह एक गंभीर मुद्दा बनेगा। विपक्ष इस मुद्दे पर योगी सरकार के खिलाफ लगातार हमलावर होते जा रहा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ा आरोप लगाया है कि विवादित प्राइवेट कंपनी डीएचएफएल ने भाजपा को चंदा के तौर पर 20 करोड़ रुपए दिया है। उधर, इस मामले में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
अखिलेश यादव ने सवाल किया है कि भाजपा सरकार को यह बताना होगा कि बिजली कर्मियों के हक का पैसा उस कंपनी में लगाने की मेहरबानी के पीछे क्या रहस्य है जो डिफाल्टर कंपनी रही है? इतना बड़ा घोटाला ढाई साल तक पर्दे में क्यों रहने दिया गया? उन्होंने यह भी पूछा है कि बिजली कर्मियों के 2600 करोड़ रुपए जो डीएचएफएल में फंसे हैं, उसकी वसूली के लिए सरकार क्या ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यूपी के टांडा और ऊंचाहार बिजली घर भाजपा सरकार में ही बिके।
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उधर, योगी सरकार ने बिजली विभाग में हुए भविष्य निधि घोटाले की सीबीआई जांच का प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया है। योगी सरकार इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की भी मदद लेगी। हालांकि इससे पहले लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने विवेचना भी शुरू कर दी है।
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इस मामले में उत्तर प्रदेश पॉवर कॉरपोरेशन के तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी से पूछताछ चालू कर दी गई है।
क्या है मामला:
गाइडलाइंस की अनदेखी करते हुए मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक यूपी स्टेट पॉवर इम्पलाइज ट्रस्ट और यूपीपीसीएल सीपीएफ ट्रस्ट की निधि के कुल 4122.70 करोड़ रुपए डीएचएफसीएल में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए गए। मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के भुगतान करने पर रोक लगाने के बाद बिजलीकर्मियों के भविष्य निधि का 2267.90 करोड़ रुपए फंस गए हैं।
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