प्रदूषण की रोकथाम के लिए हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत, अन्यथा आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी: अनुप्रिया पटेल
दिल्ली, 21 नवंबर
“पराली जलाने के नाम पर किसानों पर अत्याचार एवं अन्याय हो रहा है, प्रदूषण फैलने के मामले में पराली जलाना ही एकमात्र कारक नहीं है। यह एक सीमित कारक है।“ पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने गुरुवार को प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन विषय पर संसद को संबोधित करते हुए यह बात कही।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए समाज को भी आगे आकर सरकार का सहयोगी बनना पड़ेगा। यदि हम प्रदूषण की रोकथाम के लिए कारगर कदम नहीं उठायें तो हमारी आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हाल ही में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या को देखते हुए एयर इमरजेंसी एवं हैल्थ इमरजेंसी घोषित करना पड़ा। मीडिया में आई खबरों के जरिए इसके लिए किसानों द्वारा पराली जलाए जाने को प्रमुख कारक बताया गया। जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों के हारवेस्टर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। हालात ऐसे हो गए हैं कि रबी की फसल की बुआई का समय आ गया है, लेकिन अभी भी खेतों में धान की फसल खड़ी है। पराली के नाम पर किसानों पर अत्याचार और अन्याय शुरू हो गया है।
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श्रीमती पटेल ने कहा कि प्रदूषण के लिए केवल पराली जलाया जाना ही एकमात्र कारक नहीं है। यह एक सीमित कारक है। प्रदूषण का प्रमुख कारण भवन निर्माण, लकड़ी व कोयला जलाना, मोटरवाहन से निकलने वाले धुंआ एवं कचरा का ठीक से प्रबंधन न होना है। हमें इन सभी कारकों का समग्र रूप से अध्ययन करने की जरूरत है।
किसानों को वित्तीय सहायता दिया जाए:
श्रीमती पटेल ने मांग की कि पराली के वैकल्पिक उपयोग के लिए किसानों को वित्तीय सहयोग दिया जाए। सस्ते दर पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाएं।
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि प्रदूषण एवं जलवायु परिवर्तन आज एक वैश्विक समस्या बन गई है। भारत जैसे देश में वायु प्रदूषण एक गंभीर संकट का रूप लिया है। देश के 339 ऐसे शहरों को चिन्हित किया है, जहां पर प्रदूषण ज्यादा है।
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श्रीमती पटेल ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व के 20 अति प्रदूषित शहरों में भारत के 14 शहर शामिल हैं। इन शहरों में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे अति सूक्ष्म कणों में कमी लाने की जरूरत है।
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