श्रमिकों से हड़ताल का अधिकार छीनने की हो रही साजिश: अमजद हसन
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश के मजदूरों, किसानों और आम लोगों के बुनियादी लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों पर किए जा रहे हमलों के खिलाफ देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियंस, स्वतंत्र यूनियन और महासंघों ने 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल का फैसला किया है।
गांधी जयंती के अवसर पर देश की बड़ी मजदूर यूनियंस ने ऑनलाइन सम्मेलन किया। इसमें केंद्रीय ट्रेड यूनियन INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC शामिल हुईं। सम्मेलन में यूनियन नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ का जो मुखौटा अपने पहले कार्यकाल 2014-19 में पहना था, 2019 के बाद से अपने दूसरे कार्यकाल में उतार कर फेंक दिया है। मोदी सरकार ने कॉरपोरेट करों को कम करने के अलावा विपक्षी दलों की अनुपस्थिति में संसद में तीन श्रम विरोधी विधेयकों को अलोकतांत्रिक तरीके पारित कर दिया।
राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस (इंटक) के राष्ट्रीय संगठन सचिव अमजद हसन कहते हैं कि इन विधेयकों के पास होने से यूनियनों का गठन मुश्किल हो जाएगा। श्रमिकों से हड़ताल का अधिकार छीन लिया जाएगा। स्ट्रीट वेंडर, घरेलू कामगार, मध्याह्न भोजन कर्मचारी, बीड़ी श्रमिकों, निर्माण श्रमिकों, रिक्शा चालकों और अन्य दैनिक वेतन भोगी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बड़े वर्ग को इन कानूनों के दायरे से बाहर करके श्रमिकों पर दासता की स्थितियों को थोंपने की साजिश है।
इसी तरह से सभी संसदीय और संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए कृषि संबंधी तीन विधेयकों को पारित कर दिया गया है। इन कानूनों से देश की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है।
चरम पर निजीकरण:
भारतीय रिज़र्व बैंक, जीवन बीमा निगम और सार्वजानिक क्षेत्र के विभिन्न उपक्रमों का उपयोग एटीएम के रूप में किया जा रहा है। रेलवे मार्ग, रेलवे स्टेशन, रेलवे उत्पादन इकाइयाँ, हवाई अड्डे, पोर्ट और डॉक्स, लाभकारी सरकारी विभाग , कोयला खदानें, नकदी समृद्ध सार्वजनिक उपक्रमों जैसे बीपीसीएल, 41 आयुध (Defense) कारखानों, बीएसएनएल (उसके 86,000 कर्मचारियों को देशद्रोही करार देकर ), एयर इंडिया, सड़क परिवहन जैसे सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण का खेल खेला जा रहा है।
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ट्रेड यूनियंस की प्रमुख मांगें:
1.सभी गैर आयकर दाता परिवारों के लिए प्रति माह 7500 रुपये का नकद हस्तांतरण
2.सभी जरूरतमंदों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 10 किलो मुफ्त राशन दिया जाए
3.ग्रामीण क्षेत्रों में एक साल में 200 दिनों का काम, बढ़ी हुई मज़दूरी पर उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा का विस्तार; शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी का विस्तार
4.सभी किसान विरोधी कानूनों और मजदूर विरोधी श्रम संहिता को वापस लिया जाए
5.वित्तीय क्षेत्र सहित सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण को रोकें और रेलवे, आयुध कारखानों , बंदरगाह आदि जैसे सरकारी विनिर्माण उपक्रम और सेवा संस्थाओं का निगमीकरण बंद करें
6.सरकार और पीएसयू कर्मचारियों की समय से पहले सेवानिवृत्ति पर ड्रैकियन सर्कुलर को वापस लिया जाए
7.सभी को पेंशन प्रदान करें, एनपीएस को ख़त्म करें और पहले की पेंशन को बहाल करें, ईपीएस -95 में सुधार करें।
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