गेंहू की बुआई शुरू, आधी से ज्यादा फसल की बिक्री कर चुके हैं किसान
यूपी80 न्यूज, पटना
उत्तर भारत में धान की कटाई के बाद अधिकांश खेतों में गेंहू की बुआई शुरू हो चुकी है। गेंहू की बुआई व खाद व अन्य जरूरी सामानों के लिए अधिकांश किसान अपनी फसल की बिक्री भी कर चुके हैं। और अब जाकर बिहार की नीतीश सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है। मजे की बात यह है कि पिछले साल की अपेक्षा धान के समर्थन मूल्य में मात्र 53 पैसे की वृद्धि की गई है।
नीतीश सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए ए ग्रेड के धान का एमएसपी 18.88 रुपए प्रति किलोग्राम जारी किया है। जबकि पिछले साल 2019-20 में ए ग्रेड धान का समर्थन मूल्य 18.35 रुपए प्रति किलोग्राम था। वर्ष 2018-19 में धान का समर्थन मूल्य 17.70 रुपए था। अर्थात पिछले साल धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 65 पैसे प्रति किलोग्राम वृद्धि की गई थी, लेकिन इस बार इसमें 12 पैसे की गिरावट करते हुए मात्र 53 पैसे प्रति किलोग्राम वृद्धि की गई है। साधारण धान का समर्थन मूल्य 1868 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। राज्य सरकार ने इस बार 45 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है। लेकिन धान का समर्थन मूल्य काफी देर से घोषित करने की वजह से अधिकांश किसान अपनी उपज औने-पौने दाम में निजी व्यापारियों को बेच चुके हैं। अन्य राज्यों में एमएसपी की घोषणा सितंबर-अक्टूबर में ही हो चुकी है।
धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य:
2018-19- 17.50 रुपए प्रति kg
2019-20-18.15 रुपए प्रति kg
ए ग्रेड धान :
2018-19- 17.70 रुपए प्रति kg
2019-20- 18.35 रुपए प्रति kg
2020-21 – 18.88 रुपए प्रति kg
इस बार केवल 53 पैसे की वृद्धि, 12 पैसे की कटौती की गई, जबकि हर साल वेतन तक में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है
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बिहार में पैक्स की स्थापना:
बता दें कि बिहार में 2005 में सत्ता में आने पर सीएम नीतीश कुमार ने एपीएमसी एक्ट को खत्म कर दिया। अर्थात मंडी सिस्टम समाप्त कर दिया गया और इसकी जगह पर सीएम नीतीश कुमार ने धान और गेंहू की सरकारी खरीद के लिए पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी) की स्थापना की। पूरे बिहार में 8500 पैक्स हैं। पैक्स के जरिए किसानों को तीन दिन के अंदर फसल की कीमत का भुगतान करने का प्रावधान है, लेकिन अक्सर किसानों को भुगतान में देरी होती है। जिसकी वजह से किसान अपनी उपज को निजी कारोबारियों को बेच देते हैं।
हर पंचायत में पैक्स की व्यवस्था:
बिहार में हर पंचायत में पैक्स की व्यवस्था है, जिसका एक प्रमुख चुना जाता है। इसके सदस्य हर गांव में होते हैं। उसे गांव के किसानों से धान खरीदकर एफसीआई तक पहुंचाना होता है। लेकिन किसानों की जागरूकता के अभाव में ये सदस्य मनमानी करते हैं। यहां पर अक्सर भ्रष्टाचार और फर्जी किसानों की शिकायतें आती हैं।
अनियमितता वाले पैक्स के खिलाफ जांच शुरू:
जिन पैक्स के खिलाफ अनियमितता की शिकायत हुई हैं। वहां जांच शुरू हो गई है। दोषियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। वहां पर फिर से चुनाव कराया गया है। इस बार बिहार में रैयत किसानों से धान खरीद की क्षमता 200 क्विंटल से बढ़ाकर 250 क्विंटल कर दिया गया है। इसी तरह गैर रैयत से धान की खरीद की क्षमता 75 क्विंटल से बढ़ाकर 100 क्विंटल कर दिया गया है।
साभार: www.darbhangatimes.com