बीमारी का लक्षण दिखने पर मरीजों को तुरंत अस्पताल की ओर भागने की जरूरत नहीं: डॉ.त्रेहन
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
कोरोना पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए रेमेडिसिविर इंजेक्शन रामबाण नहीं है। देश के तीन बड़े चिकित्सा विशेषज्ञों ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस के दौरान यह बात कही है। एम्स के निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि रेमेडिसिवर को मैजिक बुलेट नहीं समझना चाहिए। कांफ्रेंस में मेदांता अस्पताल के चेयरमैन डॉ.नरेश त्रेहन और नारायण हैल्थ के चेयरमैन डॉ.देवी शेट्टी भी शामिल हुए।
तीनों चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि अब कोरोना एक कॉमन संक्रमण बन चुका है। इससे बचाव के उपाय ही इस बीमारी से निपटने का मजबूत उपाय है।
डॉ.नरेश त्रेहन:
मेदांता अस्पताल के सीएमडी एवं वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ.नरेश त्रेहन ने कहा कि रेमेडेसिविर इंजेक्शन कोरोना मरीजों के इलाज की रामबाण दवा नहीं है। यह दवा केवल वायरल लोड को कम करने में सहयोग करती है। हर मरीज के लिए यह आवश्यक नहीं है। यह मृत्यु दर घटाने वाली दवा नहीं है। उन्होंने कहा कि बीमारी का लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत अस्पताल की ओर भागने की जरूरत नहीं है। मरीज को खुद को आइसोलेट कर लेना चाहिए। कोरोना संक्रमण में बेहद कम लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है।
एम्स निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया:
एम्स निदेशक डॉ.रणदीप गुलेरिया ने कहा कि हमें ऑक्सीजन और रेमेडिसिवर इंजेक्शन का इस्तेमाल विवेकपूर्ण ढंग से करना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ टीकाकरण काफी मददगार है। वैक्सीन आपकी बीमारी को गंभीर होने से रोकता है। हालांकि वैक्सीन लेने के बाद भी कोविड प्रोटोकाल का पालन करना बेहद जरूरी है।
डॉ.देवी शेट्टी:
नारायण हैल्थ के चेयरमैन डॉ.देवी शेट्टी ने कहा कि यदि आपको खांसी, सर्दी, बदन दर्द और उल्टी जैसे लक्षण दिखे तो तुरंत कोरोना की जांच कराएं। पॉजिटिव आने पर घर पर आइसोलेशन में रहें, मास्क पहने और अपना ऑक्सीजन लेवल हर 6 घंटें में चेक कराएं। यदि ऑक्सीजन का स्तर 94 से ऊपर है तो चिंता की बात नहीं है। लेकिन यदि इससे कम हो तो डॉक्टर से संपर्क करें।