बीकेयू (टिकैत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर 1.5 लाख करोड़ रुपए पैकेज की मांग
नई दिल्ली, 29 अप्रैल
कोविड 19 महामारी के चलते किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है। यूनियन ने मांग की है कि किसानों को हो रहे नुकसान की भरपाई हेतु 1.5 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज दिए जाए।
यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ.राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाना देशहित में अच्छा कदम है, लेकिन लॉकडाउन की घोषणा उस समय हुई, जब किसान रबी की कटाई एवं खरीफ की बुआई की तैयारी कर रहा था। बेमौसम बारिश के कारण किसानों की फसलों की कटाई 15 दिन लेट हो चुकी थी। लॉकडाउन की घोषणा के बाद किसानों की फसलों की कटाई हेतु लेबर मिलना मुश्किल हो गया था। परिवहन के साधन बंद होने के कारण किसानों की फल, सब्जी या तो खेत में सड़ गई थी या उनके भाव नहीं मिल रहे थे। लॉकडाउन के चलते सब्जियों व फल के किसानों को 80 परसेंट, फूल की खेती करने वाले किसान को 100 परसेंट व दूध के किसान को 50 परसेंट नुकसान हुआ है। बावजूद इसके किसान जान हथेली पर रखकर खेती का कार्य कर रहा है। यदि देश में खाद्य सुरक्षा न होती तो कोरोना से ज्यादा भूख से मौतें हो चुकी होती।
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भारत सरकार से निम्न मांग:
- लॉकडाउन के अन्तर्गत फल, सब्जी, दूध, पोल्ट्री, फिशरीज, मधुमक्खी पालक, फूल उत्पादक किसानों के नुकसान की भरपाई हेतु भारत सरकार द्वारा अविलम्ब 1.5 लाख करोड़ का पैकेज दिया जाए।
- किसान सम्मान निधि का लाभ पहली किश्त की तरह सभी किसानों को दिया जाए। किसान सम्मान निधि की राशि को 6 हजार रुपये से बढ़ाकर 24 हजार रुपये किया जाए।
- किसानों की सभी तरह की फसलें कपास, गेंहू, चना, सरसों, सब्जियों की खरीद की जाए।
- लम्बे समय से मौसम की मार झेल रहे किसानों को गेंहू पर 200 रुपये कुन्तल बोनस दिया जाए।
- किसानों के सभी तरह के कर्ज के ब्याज पर एक साल की छूट व खरीफ की बुवाई में खाद, बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- फल, सब्जी, फूल उत्पादक किसानों की फसली ऋण माफ किए जाएं।
7. देश में अन्न की आत्मनिर्भरता के साथ-साथ दलहन व खाद्य तेल में भी देश को आत्मनिर्भर बनाया जाए। कृषि आयात पर देश की निर्भरता को समाप्त करने हेतु खाद्य तेल व दलहन उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर उनकी फसलों की सरकारी खरीद की जाए।
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