-जांच के बगैर पीसीएस – जे का रिजल्ट जारी करने पर छात्रों ने उठाया सवाल
लखनऊ / प्रयागराज, 22 जुलाई
क्या उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की कथनी और करनी में अंतर है? हाल ही में यूपी पीसीएस – जे का अंतिम रिजल्ट आने के बाद ऐसा ही प्रतीत हो रहा है। आयोग ने कुछ दिन पूर्व इस महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा को लेकर जांच का आश्वासन दिया था, लेकिन बगैर किसी जांच के ही आयोग ने इस एक्जाम का रिजल्ट जारी कर दिया। आयोग के इस कार्यशैली पर प्रतियोगी छात्र सोशल मीडिया के जरिए जमकर सवाल उठा रहे हैं।
बता दें कि यूपी पीसीएस – जे की प्री और मुख्य परीक्षा को लेकर प्रतियोगी छात्रों ने अनियमितता के आरोप लगाए थे और इस बाबत छात्रों ने सबूत भी दिए थे। मजे की बात यह है कि इसी आयोग की अन्य परीक्षा और परिणाम लंबित हैं।
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प्रतियोगी छात्र डॉ.सुनील पटेल शास्त्री कहते हैं कि इस एक्जाम के सभी पेपर भी कौशिक पांडेय के प्रेस में ही छपे थे, जिस पर पेपर आउट कराने का आरोप है। और इसी व्यक्ति के आरोप पर परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को बिना किसी प्रमाण के गिरफ्तार किया गया है।
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छात्रों की यह भी दलील है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि उसी प्रेस से छपे पेपर के आधार पर सभी परीक्षाएं और परिणाम टल जायें, लेकिन जज की न तो परीक्षा रद्द हुई और न ही परिणाम टाला गया। छात्रों की यह भी दलील है कि 10 हजार से ज्यादा अध्यापकों की भर्ती लंबित है। 2017 पीसीएस अभी तक पेंडिंग है।