2022 के चुनाव में तराई में होगा उलट-फेर
लखनऊ, 24 नवंबर
लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन तोड़ने और विधानसभा उपचुनाव में किरकिरी के बाद बहुजन समाज पार्टी में शुरू भगदड़ थमने का नाम नहीं ले रहा है। तराई बेल्ट में बसपा के सबसे मजबूत नेता रामप्रसाद चौधरी ने अपने चार पूर्व विधायकों के साथ शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि पार्टी की जिला इकाई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से इन नेताओं को पार्टी से निष्कासित किया गया है।
बता दें कि मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राम प्रसाद चौधरी, उनके भतीजे एवं पूर्व सांसद अरविंद चौधरी, बस्ती सदर से पूर्व विधायक नंदू चौधरी, रूधौली से पूर्व विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी, महादेवा से पूर्व विधायक दूधराम एवं हरैया विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी विपिन शुक्ला ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
राम प्रसाद चौधरी बस्ती के कप्तानगंज से पांच बार विधायक रह चुके हैं। खलीलाबाद से सांसद भी चुने गए। वर्ष 2009 में इनका भतीजा अरविंद चौधरी बस्ती से सांसद चुना गया। तराई क्षेत्र के बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर सहित आसपास के इलाकों में अच्छी पकड़ है। कहा जाता है कि जिस प्रत्याशी पर इनका हाथ होता है, इन इलाकों में उसकी जीत सुनिश्चित है। बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राम प्रसाद चौधरी का बसपा से मोहभंग हो गया था। पार्टी के कार्यक्रमों से इन्होंने दूरी बना ली थी।
बता दें कि कुछ दिन पहले बलिया के रसड़ा से विधायक रहे एवं मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे घूरा राम भी कुछ दिन पहले बसपा को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया और समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया। घूरा राम के पार्टी से अलग होने से बलिया में खास असर पड़ेगा। बता दें कि हर सप्ताह बहुजन समाज पार्टी का कोई न कोई नेता पार्टी से दूर हो रहा है। इसका असर वर्ष 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जरूर पड़ेगा।