दलित, पिछड़े व आदिवासी समाज के नेता काफी समय से कर रहा है मांग, न्यायिक सुधारों को लगा झटका
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
दलित, आदिवासी व पिछड़ों की बहुप्रतीक्षित मांग ‘अखिल भारतीय न्यायिक सेवा All India Judicial Service (एआईजेएस)’ के गठन का प्रस्ताव फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है। विभिन्न उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों की सहमति के अभाव में निचली अदालतों Lower Courtsमें जजों की भर्ती के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन के प्रस्ताव को समाप्त कर दिया गया है। इस प्रस्ताव के खत्म हो जाने से न्यायिक सुधारों Judicial reform को झटका लगा है।
बता दें कि देश की निचली अदालतों में पांच करोड़ से ज्यादा मुकदमें लंबित हैं। इन अदालतों में जजों की स्वीकृत संख्या 24990 है, जिसमें 5147 पद रिक्त हैं। एआईजेएस के गठन से प्रशासनिक सेवा की तरह कैडर बनाकर जजों की नियुक्ति होती और इससे न्यायपालिका में जजों की कमी दूर हो जाती। अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का गठन देश में न्यायिक सुधार के लिए बड़ा कदम माना जा रहा था।
बता दें कि अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की मांग को लेकर पिछले काफी समय से ओबीसी व दलित समाज के नेता संसद से लेकर विधानसभाओं में आवाज उठाते रहे हैं। अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को कई बार संसद से लेकर अपनी रैलियों में उठाती रही हैं। इसी तरह जनता दल यू के संसदीय दल के अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा सहित कई नेताओं ने इस ज्वलंत मुद्दे को कई बार उठा चुके हैं।