लोकसभा चुनाव को लेकर सुभासपा प्रमुख ने मायावती व अखिलेश यादव को फिर से एक साथ लाने की पहल की
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को ललकारते हुए कहा है कि यदि ये दोनों पार्टियां खुद को वंचित समाज की पार्टी कहती हैं तो इन्हें एक साथ आना चाहिए और अगला लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ना चाहिए। यदि ऐसा नहीं कर सकतीं तो इन दोनों पार्टियों को आगे आकर कहना चाहिए कि वे समाज के वंचित वर्ग की लड़ाई नहीं लड़ सकतीं।

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर इस बार ओमप्रकाश राजभर ने प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को एक साथ लाने की कोशिश शुरू कर दी है। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी को मिली करारी हार के बाद ओमप्रकाश राजभर ने सपा प्रमुख पर हमला तेज कर दिया है। लोकसभा में विपक्ष को एकजुट करने के मद्देनजर ओमप्रकाश राजभर अब बसपा पर भी निशाना साधना शुरू कर दिए हैं।
बता दें कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन किया था। लेकिन उन्हें महज 15 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। इसमें भी बसपा को 10 और सपा को महज 5 सीटें मिली। हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद दोनों दलों की राहें जुदा हो गईं और चार महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में सपा के खिलाफ बसपा सुप्रीमो मायावती सर्वाधिक आक्रामक रहीं। 10 दिन पहले हुए उपचुनाव में सपा की दो सीटें (आजमगढ़ व रामपुर) घट गई हैं।

ओमप्रकाश राजभर ने कहा,
“आखिर सपा और बसपा गरीबों और वंचितों की शुभचिंतक होने की बात कहकर उनके साथ छल क्यों कर रही हैं। मेरा मानना है कि अगर दोनों पार्टियां गरीबों की ही लड़ाई लड़ रही हैं तो फिर वे अलग-अलग चुनाव क्यों लड़ रही हैं?”
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार सपा के साथ गठबंधन में सुभासपा ने 6 सीटें जीती है।
सपा प्रमुख पर सुभासपा प्रमुख के हालिया बयान:
अखिलेश यादव को एयरकंडिशन कमरों से बाहर निकलकर काम करने की जरूरत है।
अखिलेश यादव को वर्ष 2012 में अपने पिता मुलायम सिंह यादव की कृपा से मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी।

श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य एवं राजनीतिक विश्लेषक अनूप हेमकर Anoop Hemkar ने का कहना है,
“भाजपा को रोकने के लिए राजभर का सुझाव सही है तथापि दोनों दलों के रिश्तों में हाल ही में आई तल्खी को देखते हुए राजभर के सुझाव का धरातल पर आकार लेना संभव नहीं लग रहा। राजभर को भी इसका एहसास है , लेकिन वह सपा पर दबाव बनाने के लिए रणनीति के तहत इस तरह के बयान दे रहे हैं।“