उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजेंगे नीतीश कुमार, संगठन के काम की मिलेगी जिम्मेदारी
यूपी80 न्यूज, 13 मार्च
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) का रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू में विलय हो जाएगा। विलय के बाद उपेंद्र कुशवाहा पार्टी संगठन का कार्य देखेंगे और उनकी पत्नी स्नेह लता को प्रदेश में मंत्री बनाया जाएगा। इस बाबत उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में भेजा जाएगा।
उपेंद्र कुशवाहा ने शनिवार को रालोसपा के नेताओं संग हुई महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी के विलय पर अंतिम फैसला किया। हालांकि इससे एक दिन पूर्व पार्टी के तीन दर्जन नेता मुख्य विपक्षी पार्टी राजद में शामिल हो गए थे।
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से दो बार मिल चुके हैं। इन मुलाकातों के बाद ही रालोसपा का जदयू में विलय की अटकलें तेज हो गई थीं। उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार को अपना बड़ा भाई भी बताया था।
उधर, विलय के बाद उपेंद्र कुशवाहा को केंद्र की राजनीति के लिए राज्यसभा में भेजा जाएगा। और उन्हें पार्टी संगठन का भी काम दिया जाएगा।
बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार दोनों कभी समता पार्टी में एक साथ हुआ करते थे। उपेंद्र कुशवाहा ने छात्र राजनीति से अपना राजनीतिक करियर शुरू की। नीतीश कुमार से मनमुटाव होने की वजह से उन्हें 2007 में पार्टी से निकाल दिया गया। इसके बाद कुशवाहा शरद पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हो गए। लेकिन यहां भी उन्हें रास नहीं आया और 2009 में उन्होंने राष्टीय लोक समता पार्टी का गठन किया।
मोदी लहर में तीन सीटों पर जीत:
2014 में लोकसभा चुनाव से पहले रालोसपा एनडीए में शामिल हो गई और मोदी लहर में बिहार की तीन सीटों सीतामढ़ी, काराकाट और जहानाबाद लोकसभा सीटों पर विजय हासिल की। तत्पश्चात उपेंद्र कुशवाहा मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री बने।
2015 में मात्र 2 सीटें मिली:
2015 में बिहार विधान सभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन के बावजूद रालोसपा को मात्र 2 सीटें हासिल हुईं। इसके बाद 2018 में रालोसपा एनडीए से अलग हो गई।
2019 में नहीं खुला खाता:
2019 लोकसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी 5 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई। कुशवाहा खुद 2 सीटों पर चुनाव लड़े, लेकिन दोनों सीटों पर बुरी तरह से हार हुई।
2020 में भी नहीं खुला खाता:
रालोसपा ने 2020 में ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम और बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी, बावजूद इसके रालोसपा का खाता नहीं खुला।