यूपी80 न्यूज, लखनऊ
रामचरित मानस Ramcharit Manas पर पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य Swami Prasad Maurya के दिए गए बयान का उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह Ex DGP Sulkhan Singh ने समर्थन किया है। पूर्व डीजीपी ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि स्वामी प्रसाद ने कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है। स्वामी प्रसाद मौर्य को इसका अधिकार है। मौर्य ने रामचरितमानस का अपमान नहीं किया है, बल्कि उसकी कुछ पंक्तियों पर आपत्ति जतायी है। उन्होंने यह भी कहा कि रामचरित मानस पर किसी जाति, वर्ग का विशेषाधिकार नहीं है। प्रदूषित,अमानवीय ग्रंथों की निंदा तो करनी ही होगी।
सुलखान सिंह ने कहा है कि भारतीय ग्रंथों ने समाज को गहराई से प्रभावित किया। ग्रंथों में जातिवाद, ऊंच-नीच, छुआछूत स्थापित किया गया। पीड़ित व्यक्ति / समाज अपना विरोध तो व्यक्त करेगा ही। भारतीय ग्रंथों पर एकाधिकार नहीं जताना चाहिए। हिंदू एकता के लिए इनका विरोध करना जरूरी भी है। यह शोषित वर्ग हिंदू समाज में ही रहना चाहता है।
पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने लिखा कि मैं रामचरितमानस और भगवद गीता का नियमित पाठ करता हूं। हिंदू समाज के तमाम प्रदूषित और अमानवीय ग्रंथों की निंदा तो करनी ही होगी। भारतीय ग्रंथों ने समाज को गहराई से प्रभावित किया है। इन ग्रन्थों में जातिवाद, ऊंचनीच, छुआछूत, जातीय श्रेष्ठता/हीनता आदि को दैवीय होना स्थापित किया गया है। अतः पीड़ित व्यक्ति/समाज अपना विरोध तो व्यक्त करेगा ही। किसी को भी भारतीय ग्रंथों पर एकाधिकार नहीं जताना चाहिए। कुछ अतिउत्साही उच्च जाति के हिंदू हर ऐसे विरोध को गाली-गलौज और निजी हमले करके दबाना चाहते हैं। यह वर्ग चाहता है कि सदियों से शोषित वर्ग, इस शोषण का विरोध न करे, क्योंकि वे इसे धर्मविरोधी बताते हैं।
अतीत में धर्मांतरण इसी कारण हुए:
पूर्व डीजीपी ने कहा है कि हिंदू समाज की एकता के लिए जरूरी है कि लोगों को अपना विरोध प्रकट करने दिया जाये। भारतीय ग्रंथ सबके हैं। यह शोषित वर्ग हिंदू समाज में ही रहना चाहता है, इसीलिये विरोध करता रहता है। अन्यथा इस्लाम या ईसाई धर्म अपना चुका होता। अतीत में धर्मांतरण इसी कारण से हुये हैं।
सुलखान सिंह ने कहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस पर दिये गए बयान पर प्रतिक्रिया ठीक नहीं है। मौर्य ने रामचरितमानस का अपमान नहीं किया है मात्र कुछ अंशों पर आपत्ति जताई है। उन्हें इसका अधिकार है। रामचरितमानस पर किसी जाति या वर्ग का विशेषाधिकार नहीं है। राम और कृष्ण हमारे पूर्वज हैं। हम उनका अनुसरण करते हैं। हमें यह अधिकार है कि हम अपने पूर्वजों से प्रश्न करें। यह एक स्वस्थ समाज के विकास की स्वाभाविक गति है। राम और कृष्ण से उनके कई कार्यों के बारे में सदियों से आमलोग सवाल पूछते रहे हैं। यही उनकी व्यापक स्वीकार्यता का सबूत है।
बता दें कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले सप्ताह कहा था, “तुलसीदास की रामचरित मानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिनपर हमें आपत्ति है, क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को गाली देने का कोई अधिकार नहीं है।“ हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य से पहले बिहार Bihar के शिक्षा मंत्री एवं राजद नेता चंद्रशेखर Chandrashekhar ने रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों पर आपत्ति जताई थी।