बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने क्रीमी लेयर में होने वाले संशोधन के खिलाफ बीजेपी के 112 ओबीसी सांसदों को पत्र लिखा है
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
क्या अन्य पिछड़ा वर्ग अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित नहीं है? क्या पिछड़ा वर्ग से आने वाले नेताओं पर उनके समाज का दबाव नहीं है या क्या ये नेता अपने समाज से बीच वोट मांगने नहीं जाएंगे? ये सवाल इसलिए पूछा जा रहा है, क्योंकि पिछले 23 दिनों के दौरान उत्तर प्रदेश से मात्र एक पिछड़ा वर्ग के विधायक ने ओबीसी आरक्षण में होने वाले संशोधन के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। सीतापुर सदर से बीजेपी विधायक राकेश राठौर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर क्रीमी लेयर में वेतन और कृषि आय को शामिल न करने की अपील की है।
बता दें कि मध्य प्रदेश के सतना से बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने 5 जुलाई को बीजेपी के 112 ओबीसी सांसदों को पत्र लिखकर क्रीमी लेयर में होने वाले संशोधन के खिलाफ प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को विरोधस्वरूप पत्र लिखने की अपील की थी। लेकिन देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश से पिछले 23 दिनों के दौरान बीजेपी के मात्र एक ओबीसी विधायक ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है। इससे यह साबित हो रहा है कि ओबीसी वोटों के जरिए चुनकर विधानसभा और लोकसभा पहुंचने वाले ओबीसी नेताओं को अन्य पिछड़ा वर्ग की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है। जानकारों का कहना है कि यदि यह नियम लागू हो गया, तो ओबीसी वर्ग के लाखों प्रतियोगी छात्र आरक्षण के लाभ से वंचित हो जाएंगे। इस गंभीर समस्या के प्रति खुद ओबीसी कल्याण समिति के चेयरमैन एवं मध्य प्रदेश के सतना से बीजेपी सांसद गणेश सिंह ने चिंता जतायी है। गणेश सिंह ने इसके खिलाफ पार्टी के सभी 112 ओबीसी सांसदों को पत्र लिखा है और इसका विरोध करने की अपील की है।
समिति के चेयरमैन गणेश सिंह ने पत्र में लिखा है-
“प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री जी से आग्रह है कि वेतन और कृषि से हुई आय को सकल वार्षिक आय की गणना करते समय ना जोड़ा जाए। ऐसा संदेश मैसेज, ट्विट भेजने का कष्ट करें।”
बता दें कि वर्तमान में क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख है, जो कि उनके रैंक के अनुसार निर्धारित होती है। लेकिन निए नियम के तहत वेतन और कृषि से हुई आय को भी क्रीमी लेयर में शामिल किया जाएगा। जानकारों का मानना है कि यदि सरकार का यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो ओबीसी का प्रतिनिधित्व घट जाएगा। फिलहाल सरकारी कर्मचारियों की ग्रेड के आधार पर क्रीमी लेयर तय होती है।