राजमाता ने कानून में बदलाव लाकर विधवाओं को पति की संपत्ति लेने का हकदार बनाया
यूपी80 न्यूज, नई दिल्ली
(जन्म 31 मई 1725, निधन 13 अगस्त 1795)
न्याय की देवी Goddess of Justice के तौर पर देश में प्रसिद्ध राजमाता अहिल्याबाई होल्कर Rajmata Ahilyabai Holkar का जन्म 31 मई 1725 में महाराष्ट्र अहमदनगर के चौंढी गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। आपके पिता का नाम मनकोजी शिन्दे था। आप अपने माता-पिता की इकलौती पुत्री थीं। माता अहिल्याबाई होल्कर ने सदैव अपने राज्य एवं वहां के लोगों के हित में ही कार्य किया। आपके कार्य की प्रणाली बहुत ही सुगम एवं सरल था।

माता अहिल्याबाई ने कई युद्धों में अपनी सेना का नेतृत्व किया और हाथी पर सवार होकर वीरता से लड़ाई लड़ी। वे मालवा Malwa प्रांत की महारानी थी। उन्होंने समाज की सेवा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया।
आपका विवाह अल्पायु में ही मराठा क्षत्रप महान योद्धा होल्कर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होल्कर Malhar Rao Holkar के पुत्र खंडेराव के साथ हुआ। महज 29 साल की उम्र में आपके पति का निधन हो गया। 1766 में आपके ससुर मराठा योद्धा मल्हारराव होल्कर का निधन हो गया। पति एवं पिता समान ससुर की मौत के बाद आपने शासन की बागडोर संभाली। लेकिन शासन संभालने के एक साल बाद ही आपके पुत्र मालेराव का निधन हो गया। आप पर दु:खों का पहाड़ कम नहीं हुआ। बाद में पुत्री मुक्ता भी मां को अकेला छोड़कर चल बसी।

माता अहिल्याबाई होल्कर जीवन से हताश हो गईं, लेकिन प्रजा हित में आपने खुद को संभाला।
मल्हारराव होल्कर का शासन मालवा से पंजाब तक फैला था:
मराठा क्षत्रप मल्हारराव होल्कर का साम्राज्य मालवा से पंजाब तक फैला था। आपको सम्मान से राजमाता भी कहकर पुकारा जाता था।
सामाजिक कार्य:
राजमाता ने राज्य की सीमाओं के बाहर भी अनेक सामाजिक कार्य किया। कई मंदिर, घाट, कुएं, बावड़ियों, भूखे लोगों के लिए भोजनालय, प्याऊ का निर्माण करवाया। आपने शिक्षा पर जोर दिया। आप प्रजा के सुख-दु:ख के लिए आप सदैव प्रयासरत रहती थीं। प्रजा आपको काफी सम्मान देती थी।
अपने 30 साल के शासनकाल में आपने एक छोटे से गांव इंदौर को एक समृद्ध एवं विकसित शहर बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपकी बदौलत ही आज इंदौर की पहचान भारत के समृद्ध एवं विकसित शहरों में होती है।

विधवा को संपत्ति का अधिकार दिलाया:
राजमाता अहिल्याबाई ने कानून में बदलाव करते हुए विधवा महिला को अपने पति की संपत्ति लेने का हकदार बनाया। आपने शिक्षा पर जोर दिया।
आपको लोक देवी के रूप में मानते थे और आपकी पूजा करते थे।
आपके सम्मान में इंदौर में हर साल भाद्रपद कृष्णा चतुर्दशी के दिन अहिल्योत्सव का आयोजन किया जाता है। आपके सम्मान में भारत सरकार ने देश के कई हिस्सों में आपकी प्रतिमा लगवाई है।
आपने सफल दायित्वपूर्ण राज संचालन करते हुए 13 अगस्त 1795 को नर्मदा तट पर स्थित महेश्वर के किले में चिर निंद्रा में सो गईं।