अनुप्रिया पटेल ने अदालत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की
नई दिल्ली, 10 फरवरी
आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय के ताजा फैसले को देश के तमाम ओबीसी व दलित नेताओं ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। केंद्र में सत्तासीन एनडीए के घटक दलों के अलावा विपक्ष ने भी इस फैसले को लेकर बीजेपी पर हमला किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने आरक्षण के मामले में उच्चतम न्यायालय के ताजा फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इस पर अपनी असहमति जताई हैं। श्रीमती पटेल ने कहा है कि एससी-एसटी और ओबीसी के संविधान प्रदत आरक्षण के खिलाफ माननीय उच्चतम न्यायालय का दिया गया फैसला आज तक का सबसे दुभाग्यपूर्ण है और वंचित वर्गों के अधिकारों पर इससे भयानक कुठाराघात और कोई भी नहीं हो सकता है।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि अदालत के माध्यम से आरक्षण के खिलाफ बार-बार इस तरह के जो फैसले आते हैं, उसका सबसे बड़ा कारण ये है कि हमारी न्यायपालिका के अंदर एससी-एसटी और ओबीसी का प्रतिनिधित्व नहीं है। इसलिए मैं अपनी पार्टी अपना दल एस की तरफ से बार-बार ये मांग कर रही हूं कि एससी-एसटी, ओबीसी का जो प्रतिनिधित्व है, उसे सुनिश्चित किया जाए। उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा का तत्काल गठन किया जाए।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि संसद के पास ये अधिकार है कि कानून बनाकर ऐसे मामलों का निपटारा करे। वर्ष 2018 में भी एक ऐसी ही परिस्थिति आई, जब एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट में माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा जो बदलाव किया गया था, तब हमारी केंद्र सरकार ने संसद में अध्यादेश लाकर और एक नया कानून बनाकर वंचित वर्गों के अधिकार को संरक्षित करने का कार्य किया था और आज फिर ऐसी भयावह स्थिति खड़ी है। श्रीमती पटेल ने इस मामले में केंद्र सरकार से मांग की है कि इस मामले में त्वरित हस्तक्षेप करे और इस मामले का निपटारा करे, क्योंकि देश का वंचित वर्ग आज हाशिए पर खड़ा है और अपनी चुनी हुई सरकार से ये उम्मीद करता है कि इस तरह के फैसले जो बार-बार कोर्ट द्वारा दिए जाते हैं, सरकार को इसमें सामने आकर वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
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पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश पटेल ने बताया कि उनकी नेता अनुप्रिया पटेल जी ने सोमवार को इस ज्वलंत एवं गंभीर मामले को संसद के अंदर भी उठाया और मांग की कि केंद्र सरकार इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करे। राजेश पटेल ने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय का यह फैसला, जिसमें कहा गया है कि राज्यों को सरकारी नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए कोई नहीं है और प्रमोशन में आरक्षण का दावा करने का उनको अधिकार नहीं है, बेहद ही दुभाग्यपूर्ण है।
राहुल गांधी, कांग्रेस:
कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस फैसले पर बीजेपी को घेरते हुए कहा है कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अनूप पटेल कहते हैं कि आरक्षण हमारा मौलिक अधिकार है। माननीय उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से देश के बहुसंख्यक शोषित वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात होगा।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने इस मामले में रविवार को ही चिंता जताते हुए उच्चतम न्यायालय के इस फैसला से उनकी पार्टी सहमत नहीं है। यह निर्णय पूना पैक्ट समझौता के खिलाफ है।
हमारे देश में सदियों से वंचित दमित-दलित समाज को बराबरी का हक़ देने के लिए आरक्षण एक कारगर उपाय रहा है। वर्तमान भाजपा सरकार लगातार इसे कमजोर कर रही है। हम एस.सी., एस.टी. आरक्षण के साथ-साथ जातियों की गणना के समर्थन में हमेशा रहे हैं ताकि सबको उनके संख्यानुपात में उनका हक़ मिल सके।
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने कहा है कि आरक्षण संवैधानिक प्रावधान है। अगर संविधान के प्रावधानों को लागू करने में ही किंतु – परंतु होगा तो यह देश कैसे चलेगा ? उन्होंने इस मामले में भाजपा के सहयोगी नीतीश कुमार से भी विचार स्पष्ट करने की मांग की है।
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ओपी राजभर, सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी:
सरकारी नौकरियों व प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है । आरक्षण को संविधान के मौलिक अधिकारों से बाहर रखने से OBC/SC/ST वर्ग की आबादी संविधान द्वारा प्राप्त आरक्षण के अधिकार से वंचित हो जाएगा।
कल माननीय कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण को लेकर जो कुछ कहा है। उससे बी.एस.पी. कतई भी सहमत नहीं है। अतः केन्द्र सरकार से मांग है कि वह इस मामले में तत्काल सकारात्मक कदम उठाये। अर्थात् पूर्व की कांग्रेसी सरकार की तरह इसे लटकाये ना।