मकर संक्रांति के बाद कभी भी हो सकता है मंत्रिमंडल विस्तार
नई दिल्ली, 3 जनवरी
मोदी मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद कभी भी मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू, अपना दल (एस), अन्नाद्रमुक को शामिल करने की चर्चा है। फिलहाल मोदी मंत्रिमंडल में केवल लोक जनशक्ति पार्टी और अकाली दल के सांसद ही शामिल हैं।
पहले दिसंबर में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा थी, लेकिन खरमास की वजह से इसे टाल दिया गया। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि महाराष्ट्र, हरियाणा (हार के बाद जेजेपी के साथ गठबंधन की सरकार) और झारखंड विधानसभा चुनाव में हार की वजह से भाजपा बैकफुट पर है। पार्टी अब अपने सहयोगियों को नजरअंदाज करने के मूड में नहीं है। इसके पूर्व दिसंबर में आयोजित काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी मौजूदा मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी कर चुके हैं। पीएम मोदी की उम्मीदों पर खरे न उतरने वाले मंत्रियों की छुट्टी भी की जा सकती है। इसके अलावा कुछ मंत्रियों की जिम्मेदारी कम की जा सकती है। दक्षिण भारत में पांव फैलाने के लिए भाजपा इस बार अन्नाद्रमुक को भी मंत्रिमंडल में शामिल करेगी।
जेडीयू को लेकर चर्चा तेज:
बिहार में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पीएम मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। पिछले दिनों जेडीयू से संबंधों में आई खटास को मिटाने के लिए मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने की चर्चा है।
जेडीयू से इन्हें शामिल करने की चर्चा:
आरसीपी सिंह, लल्लन सिंह एवं एक कुशवाहा समाज से।
आरसीपी सिंह और लल्लन सिंह दोनों जेडीयू के कद्दावर नेता हैं और नीतीश कुमार के बेहद करीबी हैं। आरसीपी सिंह कुर्मि जाति से और लल्लन सिंह भूमिहार समाज से ताल्लुक रखते हैं। इसके अलावा कुशवाहा समाज से भी एक व्यक्ति को मंत्रिमंडल में जगह देने की चर्चा है। चूंकि नीतीश कुमार खुद कुर्मि जाति से आते हैं, इसके अलावा भूमिहार एवं कुशवाहा समाज में भी उनकी अच्छी पकड़ है। इसलिए वोट बैंक को सहेजने के लिए इस समाज से मंत्री बनाने की चर्चा है। कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के अलग होने की वजह से कुशवाहा समाज के वोट को सहेजने के लिए इस समाज के एक व्यक्ति को मंत्रिमंडल में शामिल करने की चर्चा है।
अनुप्रिया पटेल फिर होंगी शामिल:
लोकसभा चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीतिक घटनाक्रम में तेजी से बदलाव आया है। उपुचनाव में सपा के तेजी से उभरने और प्रियंका गांधी के प्रदेश में सक्रिय होने से भाजपा में इन दिनों मंथन का दौर चल रहा है। प्रदेश में भाजपा को सपा, बसपा और कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिल रही है। अगले दो साल में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाला है। प्रदेश में सुहलदेव भारत समाज पार्टी के अलग होने के बाद भाजपा की एकमात्र सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) है। लेकिन मोदी 2.0 में अनुप्रिया पटेल को शामिल न किए जाने से पटेल (कुर्मि) समाज में काफी नाराजगी है। ऐसे में अनुप्रिया पटेल को भी मोदी मंत्रिमंडल में शामिल करने की चर्चा है।
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