किसानों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति के लिए हर गांव में एफपीओ गठन के लिए सहयोग कर रहा है ‘मॉडल गांव’
बलिराम सिंह, लखनऊ
गांव की तस्वीर बदलने के लिए उत्तर प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी (हीरा लाल) ने डेढ़ साल पहले ‘मॉडल गांव’ अभियान की परिकल्पना की। आज ‘मॉडल गांव’ एक वटवृक्ष के तौर पर भारत सहित विदेशों में भी फैलता जा रहा है। देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोग अपने गांव की बेहतरी एवं विकास के लिए मॉडल गांव मिशन से जुड़ते जा रहे हैं। अब तक भारत के 24 राज्यों एवं 3 देशों के 4641 लोग इस मिशन से जुड़ चुके हैं एवं 3366 लोग अपने गांव में बुनियादी परिवर्तन के लिए मॉडल गांव की तर्ज पर मेनिफेस्टो भी बना चुके हैं।
देश के 24 राज्यों में से सर्वाधिक उत्तर प्रदेश के 4094 लोग मॉडल गांव से जुड़े हैं और इनमें से 2838 लोग मेनिफेस्टो भी बना चुके हैं। इसके बिहार में 286, झारखंड में 84, मध्य प्रदेश में 45 लोगों ने पंजीकरण कराया है। इसी तरह भारत से बाहर बंग्लादेश, इंग्लैंड और मिगौरी के लोगों ने मॉडल गांव में रूचि ली और अपने ग्रामीण क्षेत्र के बदलाव के लिए पंजीकरण कराया।
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उत्तर प्रदेश में जिलास्तरीय पंजीकरण:
उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 498 पंजीकरण बांदा में हुआ है। बहराइच में 268, औरैया में 122, बलरामपुर में 138, बरेली में 185, बस्ती में 171, अयोध्या में 153 लोगों ने पंजीकरण कराया और अपने गांव में परिवर्तन लाने के लिए मॉडल गांव के पदाधिकारियों से संपर्क किया।
मॉडल गांव के सराहनीय कार्य:
मॉडल गांव की परिकल्पना करने वाले वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हीरालाल कहते हैं कि इस अभियान के जरिए हमारा मूल उद्देश्य ग्रामीण जीवन में सुधार करना है और गांव को बाजार से जोड़ना है। इसके लिए गांव में ही एफपीओ का गठन करवाने में सहयोग किया जा रहा है। हर गांव में बुनियादी सुधार एवं किसानों की आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए मेनिफेस्टो तैयार करवाने में मदद किया जाता है।