गठबंधन टूटने के तीन साल बाद सपा के प्रति नरम हुईं बसपा सुप्रीमो
यूपी80 न्यूज, लखनऊ
सपा गठबंधन से नाता तोड़ने के तीन साल बाद बसपा BSP सुप्रीमो मायावती Mayawati ने सपा Samajwadi Party के पक्ष में आवाज उठाई है। योगी सरकार द्वारा विपक्षी पार्टियों को धरना प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देने को बसपा सुप्रीमो ने तानाशाही करार दिया है। बसपा सुप्रीमो के इस कदम को इशारों इशारों में सपा का समर्थन बताया जा रहा है।
सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव Akhilesh Yadav के नेतृत्व में सपा विधायकों ने पार्टी कार्यालय से विधानसभा तक पैदल यात्रा करने की घोषणा की थी, लेकिन उन्हें विधानसभा पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया। परिणामस्वरूप सपा के विधायकों ने सड़क पर ही छद्म विधानसभा लगाई। इस दौरान पुलिस और सपाइयों के बीच नोकझोक भी हुई, जिससे नाराज अखिलेश यादव सहित सपा विधायक सड़क पर ही बैठ गए।
योगी सरकार के इस कदम से बसपा सुप्रीमो मायावती खासा नाराज बताई जा रही हैं। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट के जरिए योगी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों व उसकी निरंकुशता तथा जुल्म ज्यादती आदि को लेकर धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात बात पर मुकदमे व लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति घातक है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि बेरोजगारी, गरीबी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था आदि के प्रति यूपी सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना प्रदर्शन नहीं करने देने से पहले भाजपा सोचे। इस दमनचक्र से पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात बात पर सड़क जाम करके आम जन जीवन ठप करने का भाजपाइयों का क्रूर इतिहास रहा है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि वापस ले सरकार:
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में एकमुश्त भारी वृद्धि करने के विरोध में छात्रों के आंदोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित व निंदनीय है। यूपी सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करे। बसपा की यही मांग है।
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भाजपा की ‘बी’ टीम के अफवाह से उबरने की कोशिश:
राजनीतिक गलियारों में बसपा सुप्रीमो के इस कदम को भाजपा की ‘बी’ टीम के अफवाह से उबरने के तौर पर देखा जा रहा है। केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार होने के बावजूद पिछले तीन सालों से जिस तरह से बसपा सुप्रीमो सत्ता पक्ष की बजाय विपक्ष पर ही ज्यादातार हमलावर होती रही हैं, उससे जनता के बीच गलत मैसेज गया है और माना जा रहा है कि इसी वजह से विधानसभा चुनाव में बसपा को खासा नुकसान उठाना पड़ा। अत: बसपा सुप्रीमो यह साफ करने की कोशिश कर रही हैं कि वह किसी एक खेमे विशेष में शामिल नहीं हैं।